सीबीआई कोर्ट: सभी को देने होंगे वॉयस सैंपल, हरीश-हरक को नोटिस
-वर्ष 2016 में हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए उनका स्टिंग करने का दावा उमेश कुमार ने किया था। स्टिंग का ऑडियो-वीडियो उस वक्त जारी हुआ था। इसमें किसी का चेहरा नहीं था। लेकिन, आवाज सुनाई दे रही थी। ऑडियो-वीडियो में छेड़छाड़ तो नहीं हुई यह जानने के लिए सीबीआई ने सेंट्रल फोरेंसिक लेबोरेटरी गांधीनगर, गुजरात में जांच कराई थी। रिपोर्ट के अनुसार, ऑडियो-वीडियो में एडिटिंग/छेड़छाड़ नहीं की गई है। यह मूल स्वरूप में ही जारी की गई थी।
उत्तराखंड के बहुचर्चित स्टिंग प्रकरण में वॉयस सैंपल देने के मामले में नेताओं को स्पेशल सीबीआई कोर्ट से राहत नहीं मिली। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत, विधायक मदन बिष्ट समेत स्टिंग करने वाले पत्रकार व विधायक उमेश शर्मा को वॉयस सैंपल देने होंगे।
कोर्ट ने सीबीआई को हरक सिंह रावत और हरीश रावत को नोटिस भेजने के आदेश दिए हैं। विधायक होने के नाते मदन बिष्ट और उमेश शर्मा को सांविधानिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं। वॉयस सैंपल कब और कहां लिए जाएंगे, इसके लिए सीबीआई अलग से नोटिस जारी करेगी।
बता दें कि पिछले दिनों स्टिंग मामले में हरक सिंह रावत, हरीश रावत, मदन बिष्ट और उमेश शर्मा को वॉयस सैंपल देने के लिए नोटिस जारी हुए थे। सभी नेताओं को चार जुलाई तक जवाब कोर्ट में दाखिल करना था। उमेश शर्मा को छोड़कर सभी नेताओं ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा था। इसके बाद 15 जुलाई को हरक सिंह रावत, हरीश रावत और मदन बिष्ट ने जवाब दाखिल किया था। इनके अधिवक्ताओं ने मुकदमे की कार्रवाई पर ही सवाल उठाए थे। कहा था कि इस मामले में एक याचिका हाईकोर्ट में पेंडिंग है। इसका फैसला 27 जुलाई को आना है। इसके बाद ही वह कोई निर्णय लेंगे।
वहीं, उमेश शर्मा की ओर से कहा गया था कि वह जांच में सहयोग के लिए तैयार हैं। लेकिन, इस वक्त उपलब्ध नहीं हो सकेंगे। न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। स्पेशल जज सीबीआई धर्मेंद्र अधिकारी की कोर्ट ने सोमवार को निर्णय सुनाया। कोर्ट ने सभी नेताओं को वॉयस सैंपल देने के आदेश दिए।
पुस्तक/अखबार पढ़वाते हुए रिकॉर्ड होगी आवाज
कोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति को उसके खिलाफ स्वयं साक्ष्य उपलब्ध कराने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। ऐसे में वॉयस सैंपल लेते वक्त यह ध्यान में रखा जाए कि जो ऑडियो में बातें हैं वह उनसे न बुलवाई जाएं। उनकी आवाज किसी पुस्तक, साहित्य/अखबार पढ़वाते हुए रिकॉर्ड की जाए। ताकि, आवाज का मिलान उस वक्त जारी ऑडियो से कराया जा सके।
यह है स्टिंग का मामला
वर्ष 2016 में हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए उनका स्टिंग करने का दावा उमेश कुमार ने किया था। इसी दौरान एक और स्टिंग सामने आया था, इसमें विधायक मदन सिंह बिष्ट के होने का दावा किया गया। डॉ. हरक सिंह रावत के भी इसमें शामिल होने का दावा था। दोनों ही स्टिंग में उमेश कुमार ने दावा किया था कि हरीश रावत सरकार को बचाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त की डीलिंग की जा रही थी। रुपयों के लेन-देन की बात का दावा भी स्टिंग प्रसारण के दौरान किया गया। बाद में मामले की जांच सीबीआई को दी गई थी। स्टिंग में जो आवाजें हैं उनके मिलान के लिए इन चारों ही नेताओं के वॉयस सैंपल लेने की अनुमति सीबीआई ने अदालत से मांगी थी।