भारतीयता के भाव जगाती सुभाष चंद वर्मा की एक कविता… धर्मों के उत्सव में कर्मो की आरती
सुभाष चंद वर्मा
देहरादून,उत्तराखंड
—————————–
मां भारती
——————
धर्मों के उत्सव में कर्मो की आरती,
ऋषियों की तपोभूमि अपनी मां भारती।
मन में उमंग भरे गीता का ज्ञान यहां,
संस्कृति महान सद्भाव को उभारती।
धर्मो के उत्सव में,
ऋषियों की तपोभूमि।
गाथा संघर्षों की विजय अभियान की,
भारतीयों के साहस व आत्म बलिदान की।
फहराता तिरंगा मां भारती की शान यहां,
मिट्टी ये पावन अतुल्य हिंदुस्तान की।
धर्मो के उत्सव में,
ऋषियों की तपोभूमि।
गीत स्वाभिमान और आत्म सम्मान के,
एकता में गूंजते हैं शब्द राष्ट्रगान के।
सत्य अहिंसा की जलती मशाल यहां,
बहते हैं दारिया नित्य ज्ञान विज्ञान के।
धर्मों के उत्सव में,
ऋषियों की तपोभूमि।
कथा दिव्य मानवों की वेदों के ज्ञान की,
योग से निरोग स्वस्थ देव वरदान की।
सभ्यता महान है विश्व की मिशाल यहां,
भारतीय उतारते मां भारती की आरती।
धर्मों के उत्सव में,
ऋषियों की तपोभूमि।
राष्ट्र भाषा खास हो तो काम भी कुछ होना चाहिए,
अधिकार में कर्तव्य का एहसास होना चाहिए।
एक होकर लड़े सब आजादी कि लडाई में,
एकता में आज भी विश्वास होना चाहिए।
खास हो तो,
अधिकार में।
ग्रेज़ तो चले गए अंगेजियत रह गई,
भाषा में गुलमियत की हेकड़ी रह गई।
हिन्द में हिंदी का हाल कुछ ऐसा हुआ,
यह भाषा आज हिंदी दिवस तक ही रह गई।
सुभाष इस हालात पर विचार होना चाइए,
हिंदी का विश्व व्यापी विस्तार होना चाहिए।
खास हो तो,
अधिकार में।
अर्थ कर देता अनर्थ एक छोटी सी बिंदी में,
जग से हो जाती है जंग कभी कभी हिंदी में।
उत्तर अंग्रेजी में देकर जब हिंदी के प्रश्न का,
हिंदी भाषी हो जाते हैं खुद शर्मिंदा हिंदी में।
अपनों में अपनेपन का एहसास होना चाहिए,
हम सबको राष्ट्र भाषा का अभ्यास होना चाहिए
खास हो तो,
अधिकार में।
—————————————————–
कवि परिचय
सुभाष चंद वर्मा
सेवानिवृत्त, रक्षा अधिकारी
सत्य विहार, विजय पार्क, देहरादून