Wed. May 28th, 2025

सुभाष चंद वर्मा की एक कविता… मन की गहराइयों में अक्सर

सुभाष चंद वर्मा
सत्य विहार, विजय पार्क
देहरादून, उत्तराखंड
——————————————–

गहराइयां
————————-

मन की गहराइयों में अक्सर,
देखता हूं संघर्षरत से चेहरे।
असत्य भी प्रवीण अपनी युक्ति में,
हार के सिर पर विजय के सेहरे।

मेहनत से बेहाल जीवन फिर भी,
हृदय में आत्मविश्वास है गहरे।
सत्य के यज्ञ की अनुभूति में,
हार पर लगे हैं जीत के पहरे।
मन की गहराइयों में अक्सर,
देखता हूं संघर्षरत से चेहरे।

धूप की परछाइयों में अक्सर,
देखता हूं कमजोर वृद्ध से चेहरे।
घृणा भी आसक्त अपनी शक्ति में,
परिश्रम पर पड़े तिरस्कार के घेरे।

निराशा से बेहाल जीवन फिर भी,
हृदय में अंधविश्वास है गहरे।
तृष्णा है कर्म की अनुभूति में,
अत्मग्लानी से ढके हुए चेहरे।

मन की गहराइयों में अक्सर,
देखता हूं संघर्षरत से चेहरे।
असत्य भी प्रवीण अपनी युक्ति में,
हार के सिर पर विजय के सेहरे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *