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कवि सुनील शर्मा … नारी तू नारायणी, तू ही सुख का सार

सुनील शर्मा की कलम से
गुरुग्राम, हरियाणा
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दोहे…….. नारी तू नारायणी

नारी तू नारायणी, तू ही सुख का सार।
तुमसे ही तो जन्मता, यह सारा संसार।।

तू ही पति का प्यार है, तू ही पालनहार।
तू ही काली तु दुरगा, तू ही तारणहार।।

तू ही बेटी तू हि माँ, तेरे रूप हजार।
तूने ही तो कर दिया, दुष्टों का संहार।।

तू ममता की छाँव है, तू ही सच्चा प्यार।
जिसने माँ को पा लिया, होता भव से पार।।

माँ का दिल ना तोड़िए, वही दुआ की खान
मातृ चरण में स्वर्ग है, और बड़ा न महान।।

नारी तू नारायणी, तेरे रूप हजार।
तुझ से ही सृष्टि बनती, तू ही पालनहार।।

नारी तूने छू लिया, आसमान का ठोर।
नारी ही मैदान में, जंग करे घनघोर।।

प्रीतम प्यारी प्रियतमा, तू ही सच्चा गीत।
तू ही सच्चा प्रेम है, तू ही है संगीत।।

घट- घट में हि विराजती, तू ही माँ का रूप।
तुझी से ही तो खिलते, सभई रूप- स्वरूप।।

तू मीरा के प्याल में, तू राधा सी नार।
तू शबरी भक्त भीलनी, तू ही खेवनहार।।

 

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