पीएम मोदी और अमित शाह के खिलाफ, सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस एमपी सुष्मिता देव की याचिका को किया खारिज
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट से एक और झटका लगा है। कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव द्वारा दायर याचिका पर कोई भी आदेश देने से सुप्रीम कोर्ट ने इन्कार कर दिया है। पिछले दिनों सुष्मिता देव ने याचिका में सुप्रीम कोर्ट से चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ उनके घृणास्पद भाषणों के लिए कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की थी। कांग्रेस का कहना था कि ये भाषण आचार संहिता का उल्लंघन है।
सुष्मिता देव ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था। इस हलफनामे में कांग्रेस सांसद ने कहा था कि प्रतिवादी निर्वाचन आयोग यह बता पाने में विफल रहा है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह द्वारा द्वारा दी गई कथित हेट स्पीच रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट-1951 की धारा-123A के तहत ‘भ्रष्ट आचरण’ है। दरअसल, कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव ने याचिका दाखिल करके सुप्रीम कोर्ट से दोनों नेताओं के खिलाफ की गई हेट स्पीच को लेकर दी गई शिकायतों पर बिना किसी दबाव के निर्णय लेने के लिए चुनाव आयोग को निर्देशित करने की मांग की थी। सांसद का आरोप है कि मोदी और शाह नफरत फैलाने वाले भाषण देते हैं और राजनीतिक प्रचार के लिए सेना का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है।
याचिका के जरिए देव की ओर से आरोप लगाया गया था कि दोनों भाजपा नेताओं ने कई बार आचार संहिता का उल्लंघन किया है। चुनाव आयोग ने कांग्रेस की ओर से इस बारे में 40 शिकायतें दी गई थीं। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि चुनाव आयोग द्वारा स्पष्ट रूप से मना किए जाने के बावजूद दोनों नेताओं ने नफरत फैलाने वाले भाषण दिए और राजनीतिक प्रचार के लिए सेना का इस्तेमाल किया। याचिका में आचार संहिता उल्लंघन के उदाहरण भी दिए गए हैं।
असम के सिलचर से मौजूदा कांग्रेस सांसद देव ने अपनी याचिका में कहा था कि निर्वाचन आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah) के खिलाफ आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) के उल्लंघन को लेकर दाखिल की गई शिकायतों को खारिज कर दिया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुष्मिता देव से पीएम मोदी और अमित शाह को क्लीन चिट देने संबंधी निर्वाचन आयोग के कथित फैसलों को रिकार्ड में देने के लिए कहा था।