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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, सास-ससुर और पति के घर पर बहू का भी पूरा अधिकार

-न्यायाधीश अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने तरुण बत्रा मामले में दो न्यायाधीशों की पीठ के फैसले को पलटा, घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय उनको जीवनदान मिलने जैसा

-कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि पीड़ित पत्नी को ससुराल में सास-ससुर के मकान में रहने का कानूनी अधिकार होगा। जबकि, पति की अर्जित की हुए संपत्ति यानी अलग से बनाए घर पर तो पत्नी का अधिकार होगा ही

शब्द रथ न्यूज। सुप्रीम कोर्ट ने बहू के पक्ष में कल गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि बहू को उसके पति के माता-पिता यानी सास-ससुर के घर में रहने का पूरा कानूनी अधिकार है। न्यायाधीश अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने तरुण बत्रा मामले में दो न्यायाधीशों की पीठ के फैसले को पलट दिया है। घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय उनको जीवनदान मिलने जैसा है।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि घरेलू हिंसा की शिकार पत्नी को पति के माता-पिता के मकान में रहने का हक मिलेगा। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि पीड़ित पत्नी को ससुराल में सास-ससुर के मकान में रहने का कानूनी अधिकार होगा। जबकि, पति की अर्जित की हुए संपत्ति यानी अलग से बनाए घर पर तो पत्नी का अधिकार होगा ही। इससे साफ हो गया कि सास-ससुर के बनाए घर में बहू को रहने से कोई नहीं रोक सकता, पति या सास-ससुर कोई भी बहू को वहां से जाने के लिए नहीं कह सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने डेढ़ सौ पेज के फैसले में घरेलू हिंसा कानून 2005 का हवाला देते हुए कई अन्य बातें स्पष्ट भी की है।

गौरतलब है कि तरुण बत्रा मामले में दो जजों की बेंच ने कहा था कि कानून में बेटियां, अपने पति के माता-पिता यानी सास ससुर के स्वामित्व वाली संपत्ति में नहीं रह सकती। अब तीन सदस्यीय पीठ ने तरुण बत्रा के फैसले को पलटते हुए 6-7 सवालों के जवाब दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि पति की अलग-अलग संपत्ति में ही नहीं, बल्कि साझा घर में भी बहू का पूरा अधिकार है।

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