कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना करनपुर गोलीकांड को लेकर फिर मुश्किल में
-उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान 1994 में करनपुर देहरादून में हुआ था गोलीकांड (Karanpur bullet scandal), सूर्यकांत धस्माना गोलीकांड के आरोपी है। निचली अदालत ने सबूत के अभाव में धस्माना को बरी कर दिया था। सीबीआई (CBI) ने हाई कोर्ट (high court) में की अपील
देहरादून (dehradun)। कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष (Congress state vice president) सूर्यकांत धस्माना (suryakant dhasmana) की करनपुर गोलीकांड (Karanpur bullet scandal) को लेकर एक बार फिर मुश्किल बढ़ गई है। उत्तराखंड राज्य आंदोलन (uttrakhand sepret state movement) के दौरान करनपुर (देहरादून) (Karanpur dehradun) में हुए गोलीकांड प्रकरण में सीबीआई ने हाईकोर्ट में अपील की है। गोलीकांड में धस्माना को आरोपी बनाया गया है। गोलीकांड के समय धस्माना समाजवादी पार्टी में थे।
गौरतलब है कि गोलीकांड मामले में निचली अदालत ने सात जून 2012 को फैसला सुनाया था। उसमें गोली चलाने के मामले में आरोपी सूर्यकांत धस्माना को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। जबकि, चार लोगों को गोली चलाने के मामले में सजा सुनाई गई थी।
गोलीकांड में हुई थी राज्य आंदोलनकारी की मौत
उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान हरेन्द्र रावत ने थाना डालनवाला देहरादून में तीन अक्टूबर 1994 में तहरीर दी थी। तहरीर में कहा गया था कि उनका भतीजा करनपुर से लौट रहा था। सूर्यकांत धस्माना के आवास पर पहुंचने के दौरान सूर्यकांत धस्माना, धस्माना के भाई संजय व दो अन्य ने गोली चलाई। इसमें उनके भतीजे की मौत हो गई। जबकि, दो लोग घायल हो गए। मामले जांच बाद में सीबीआई को ट्रांसफर हुई तो सीबीआई ने जांच कर 12 जनवरी 1995 चार्जशीट दाखिल की थी।
चार आरोपियों को हुई थी सजा
सीबीआई की अदालत ने इस मामले में दोषी जसपाल सिंह, मदन सिंह, जितेन्द्र कुमार, यशवीर को सात साल की सजा सुनाई। जबकि, सूर्यकांत धस्माना को बरी कर दिया। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अब सीबीआई ने सूर्यकांत धस्माना को भी सजा देने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। सीबीआई ने कोर्ट से कहा है कि सूर्यकांत धस्माना के खिलाफ भी सबूत हैं। इसलिए धस्माना को भी सजा मिलनी चाहिए। अब इस मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई होगी।