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घोषणा: इस्लामिक जिहाद के विरुद्ध धर्म संसद नहीं करेंगे स्वामी यति नरसिंहानंद

-हरिद्वार में हुई धर्म संसद में समुदाय विशेष के खिलाफ भाषणबाजी के मामले में शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को जमानत मिलने के बाद स्वामी यति नरसिंहानंद ने सार्वजनिक जीवन छोड़ने की घोषणा कर दी। कहा कि अब वह सिर्फ धार्मिक जीवन जीएंगे। अब वह बच्चों की शिक्षा के साथ ही हवन, पूजन आदि कार्य ही करेंगे। इस्लामिक जिहाद के विरुद्ध अब धर्मसंसद नहीं करेंगे।

गाजियाबाद डासना स्थित देवी मंदिर के महंत व जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यति नरसिंहानंद इस्लामिक जिहाद के खिलाफ अब धर्म संसद नहीं करेंगे। स्वामी यति नरसिंहानंद 2012 में उत्तर-प्रदेश के देवबंद स्थित एक इस्लामिक संस्था का विरोध किया, तब से स्वामी चर्चाओं में आए थे।

हरिद्वार में हुई धर्म संसद और मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ विवादित टिप्पणी करने पर स्वामी यति की निंदा हुई। अब स्वामी ने सामाजिक जीवन छोड़कर धार्मिक जीवन जीने और बच्चों को धार्मिक ज्ञान देने की घोषणा की है। हरिद्वार के खड़खड़ी स्थित वेद निकेतन में 17 से 19 नवंबर तक धर्म संसद हुई थी। इसमें समुदाय विशेष के खिलाफ भाषणबाजी हुई थी।मामले में शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। 4 महीने बाद वह जमानत पर रिहा हुए हैं।

जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को जमानत मिलने के बाद स्वामी यति नरसिंहानंद ने सार्वजनिक जीवन छोड़ने की घोषणा कर दी। प्रेस को जारी बयान उन्होंने कहा कि अब वह सिर्फ धार्मिक जीवन जीएंगे। अब वह बच्चों की शिक्षा के साथ ही हवन, पूजन आदि कार्य ही करेंगे। इस्लामिक जिहाद के विरुद्ध अब धर्मसंसद नहीं करेंगे।

सम्मान व स्वाभिमान की इस लड़ाई में असफल रहा: नरसिंहानंद

हरिद्वार जेल से जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के अंतरिम जमानत पर रिहा होने के बाद स्वामी यति नरसिंहानंद ने कहा कि इस लड़ाई में हिंदू समाज की जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी जैसे योद्धा के प्रति उदासीनता से खिन्न होकर वह अपने बचे जीवन को मां और महादेव के महायज्ञ व योगेश्वर श्रीकृष्ण की श्रीमद्भगवद् गीता को समर्पित करेंगे। सम्मान व स्वाभिमान की इस लड़ाई में असफल रहने के लिए जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी से माफी मांगते हैं। अब वह नवयुवकों को श्रीमद्भगवद् गीता पढ़ाने और धार्मिक कार्यों में अपने जीवन को व्यतीत करेंगे।

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