Fri. Nov 22nd, 2024

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भाव और शब्दों का अनूठा संगम है कांता घिल्डियाल का ‘मुट्ठी भर रंग’, जिसे अवश्य पढ़ा जाना चाहिए..

-कवि कांता घिल्डियाल के काव्य संग्रह “मुट्ठी भर रंग” का लोकार्पण गत माह हुआ। पद्मश्री…

प्रतिभा की कलम से.. न सर पर दुपट्टा न पांव में जूती और दौड़ पड़ी मल्लिका-ए-तरन्नुम नूरजहां

लग जा गले… ————————— बात 1955-56 की है जब पाकिस्तान में मोहम्मद अली जिन्ना चैरिटी…

युवा कवि अमित नैथानी ‘मिट्ठू’ की एक गंभीर रचना.. हम न्यूटन-आइंस्टीन रटते गये और सुश्रुत-कणाद को भूलते गये

अमित नैथानी ‘मिट्ठू’ ऋषिकेश, उत्तराखंड ———————————- कौन हो तुम …? —————————— जब मैं पढ़ रहा…