विश्व तम्बाकू निषेध दिवस: इण्टर कॉलेज बुरांसखंडा के बच्चों ने निकाली रैली, तम्बाकू-गुटखा के प्रति किया जागरूक
–पहले से मौजूद निकोटीन एवं मानक से ज्यादा मेंथॉल बना रहे तम्बाकू को और भी जहरीला, साथ ही गुटखे के पाउच के रूप में मिल रहा मौत का गिफ्ट भी।
कमलेश्वर प्रसाद भट्ट
देहरादून के रायपुर ब्लॉक स्थित इण्टर कॉलेज बुरांसखंडा के सेवित क्षेत्र कोटली-चलचला में स्कूली बच्चों ने मसूरी रेंज वन विभाग के सहयोग से जन जागरूकता रैली निकालकर तंबाकू सेवन से नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों की ओर आमजन का ध्यान आकर्षित किया।
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर प्रधानाचार्य दीपक नेगी ने प्रार्थना स्थल पर धूम्रपान निषेध की शपथ दिलाई। बच्चों को जानकारी देते हुए नेगी ने कहा कि इस वर्ष की मुख्य थीम “THREAT TO OUR ENVIRONMENT” अर्थात “तम्बाकू हमारे पर्यावरण के लिए खतरा” है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सरकार के संकल्प “आओ गाँव चलें-उत्तराखंड को तम्बाकू मुक्त बनायें।” को साकार करने में नौजवान युवा अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसीलिए शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस एवं पंचायती राज विभाग के संयुक्त तत्वावधान में इस अभियान को सफल बनाने का संकल्प लिया गया है।
वास्तव में हर कोई भलीभाँति जानते हैं कि “तंबाकू का सेवन बुरा है, यह भी समझते हैं कि इसके सेवन करने से कई तरह की बीमारियां होती हैं, यहाँ तक कि मुँह का कैंसर भी।” यह सब जानने के बाबजूद नशा नहीं छोड़ पाते हैं। देखा जाय तो तम्बाकू एक ऐसा जहर है, जो सेवन करने वाले को धीरे-धीरे मारता है। जो लोग इसे शौक के रूप में शुरू करते हैं, उन्हें पता नहीं चलता कि कब उनका यह शौक लत बन जाता है, और फिर वे इसके बिना रह ही नहीं पाते। यहाँ तक देखने सुनने में आता है कि कुछ लोग इसके इतने तक आदी हो जाते हैं कि उन्हें पेट साफ करने से पहले या फिर खाना खाने के बाद भी तम्बाकू जरूरी होता है। ऐसा नहीं कि तम्बाकू की लत को छोड़ा न जा सके, इसके लिए स्वयं पर नियंत्रण जरूरी है, और उसके लिए आवश्यक है। “दृढ़ इच्छाशक्ति और सुसंगत” की।
विशेषज्ञ डॉक्टर की बात जानें तो तम्बाकू में निकोटिन समेत साठ तरह के विषैले पदार्थ होते हैं। बीड़ी, सिगरेट, गुटखा के माध्यम से यह खून में फेफड़ों तक पहुंचता है और टार (कार्बनिक रसायन) बनकर उससे चिपक जाता है। इससे फेफड़ों की कोशिकाओं में ऑक्सीजन ग्रहण करने और कार्बन डाई-ऑक्साइड छोड़ने की क्षमता कम होती जाती है।
चिकित्सकों का मानना है कि तम्बाकू छोड़ने के बाद भी कुछ विशेष बातों का ध्यान रखने की जरूरत होती है, अन्यथा किसी दिन इच्छाशक्ति कमजोर हुई तो सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। खान-पान का ध्यान रखें। खुद को व्यस्त रखें। योग और प्राणायम से मिलने वाली ऊर्जा तथा आत्मशक्ति लेते रहें। कुछ दिन गुजरने के बाद सेहत में फायदा नजर आएगा और तंबाकू की लत हमेशा के लिए छूट जाएगी।
विद्यालय हर एक परिवार से जुड़े हैं, अतः वातावरण सृजन करने में हमारा बड़ा योगदान होगा। यहाँ हमारा उद्देश्य तम्बाकू-गुटखा सेवन से नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों की ओर आमजन का ध्यान आकर्षित करना है, क्योंकि आज तम्बाकू-गुटखा दुनिया भर में लाखों लोगों की मौत का कारण बनता जा रहा है।
वन विभाग से मसूरी रेंज के वन वीट अधिकारी सुरेश सिंह नेगी, वन दरोगा संजय सिंह चौहान, सुन्दर सिंह एवं दयाल सिंह ने भी बीड़ी-तम्बाकू को पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा बताया। उन्होंने कहा, इसमें कोई शक नहीं कि गर्मियों के मौसम में जंगलों में लगने वाली आग का एक कारण राहगीरों की अधिक चहलकदमी भी है। अक्सर देखने में आया है कि शौकीन लोग आदतन बीड़ी-तम्बाकू जलाते समय जलती हुई माचिस की तीली जाने-अनजाने जहाँ-तहाँ फेंक देते, जो अत्यधिक गर्मी के होते सुलगते हुए आग का विकराल रूप धारण कर भारी नुकसान पहुंचा देता। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण कोरोनाकाल है, जहाँ टूरिस्टों या राहगीरों की कम आवाजाही के कारण अन्य वर्षों की तुलना में आग लगने की संभावना कम देखी गई। परिणामस्वरूप हम जहाँ भारी मात्रा में वन सम्पदा को सुरक्षित रखने में कामयाब रहे, साथ ही बेजुबान जँगली जानवरों की जान भी बच गई। वहीं आजकल गुटखा जैसे न जाने कितने लुभावने नशीले पदार्थ प्लास्टिक पैकिंग में युवाओं को परोसे जा रहे हैं, बच्चों को भी खूब पसंद हैं ये जहरीले चमकीले पुड़िया। यह स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत नुकसानदेह हैं, साथ ही इनका प्लास्टिक जमीन की उर्वरक शक्ति को भी नष्ट कर रहे हैं।
विद्यालय के बच्चों ने जहाँ गुरुजनों के संरक्षण में हाथों में श्लोगन लिखी तख्तियां लेकर रैली निकालकर आमजन तक संदेश पहुँचाया, वहीं निबन्ध लेखन व पोस्टर प्रतियोगिता के माध्यम से तंबाकू के दुष्प्रभाव उजागर कर उन्हें इसका उपयोग न करने के लिए भी प्रेरित किया गया।
बच्चों ने अपनी मन की कल्पना निबन्ध लेखन व पोस्टर के रूप में पहुँचाने का प्रयास किया, प्रधानाचार्य द्वारा प्रतियोगिताओं में स्थान पाने वाले प्रतिभागियों को मैडल देकर प्रोत्साहित किया।
*निबन्ध में कक्षा 10 की मानसी प्रथम, कक्षा 10 की रिया नेगी द्वितीय, कक्षा 12 की ज्योतिका तृतीय एवं कक्षा 12 की दो छात्राओं ज्योति और काजल ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया।
पोस्टर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान कक्षा 11 के मनीष कुमार, द्वितीय कक्षा 12 के समीर, तृतीय स्थान कक्षा 10 की मानसी एवं सांत्वना पुरस्कार के रूप में दो बालिकाओं कक्षा 12 की सानिया और कक्षा 10 की रिया नेगी ने स्थान बनाया।
इस अवसर पर पी टी ए अध्यक्ष शैलेन्द्र नेगी, अभिभावकों पूरण सिंह भण्डारी के साथ ही प्रधानाचार्य दीपक नेगी, प्रवक्ता एन वी पन्त, के के राणा, आर के चौहान, के पी भट्ट, आर एस रावत, भास्कर रावत, प्रियंका घनस्याला, रीना तोमर, नेहा बिष्ट, जे पी नौटियाल, जी बी सिंह, मनीषा शर्मा, संगीता जायसवाल, सुमन हटवाल, अंकिता थपलियाल, जय सिंह, प्रवीन व राकेश, भोजन माताओं के अलावा वन विभाग मसूरी रेंज के वन वीट अधिकारी सुरेश सिंह नेगी, वन दरोगा संजय सिंह चौहान, सुन्दर सिंह एवं दयाल सिंह आदि ने बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए राष्ट्रीय महत्व के शासकीय कार्यक्रम में भागीदारी की।