मुंबई से तारा पाठक की बाल कविता.. गप्पू चाचा बड़े गपोड़ी
तारा पाठक
वर्सोवा, मुंबई, महाराष्ट्र
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गप्पू चाचा बड़े गपोड़ी।
फेंका करते लंबी -चौड़ी।
पहलवान खुद को बतलाते।
मक्खी से भिड़कर दिखलाते।
गली गली आतंक था उनका।
नाम पै उनके बजता डंका।
मूंछ नुकीली करके घूमते।
आँखें लाल-पीली करके घूमते।
तोंद फुलाकर, अकड़ के चलते।
जरा बात पर बड़े उछलते।
इक दिन आया शेर गली में ।
बहुत मचा था शोर गली में।
मारी शेर ने लंबी दहाड़।
चाचा गिरे खाकर पछाड़।