कवि तारा पाठक की एक रचना… साक्षरता का मधुमास आया…
तारा पाठक
हल्द्वानी, नैनीताल
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साक्षरता दिवस विशेष (8 सितंबर)
मन उपवन में कोयल बोली
साक्षरता का मधुमास आया।
ले अंगड़ाई जगी दिशाएं
उदय का आभास पाया।
दिगबन्ध खुले तब जड़ता के
ज्ञान का सूरज मुस्काया।
किरनों की रिलमिल-झिलमिल में
नया एक उल्लास छाया।
मधुरिम मंद सुगन्ध मिश्रित
साक्षरता की चली पुरवाई।
ग्रंथों-छंदों से उड़-उड़ कर
जन-जन में है समाई।
हुए अंकुरित नूतन पादप
साक्षरता के फूल खिले।
महक उठी जीवन की बगिया
जीने के अधिकार मिले।
घन गर्जन में सहज उच्चरित
स्वर-व्यंजन की माला।
झरनों ने संगीत मिलाया
क ख ग घ वाला।
दादुर ,झिल्ली ,मोर, पपीहा
सब पढ़ने की सोच रहे।
उर तट पर छाई काई को
सुचिन्तन से खरोंच रहे।
उन्मुक्त गगन में उड़े पखेरू
लेकर नया संदेश।
साक्षर हों सारे नर-नारी
रहे न कोई शेष।