Fri. Nov 22nd, 2024

तारा पाठक की एक बाल कविता… टिक टिक टिक टिक घोड़ा…

तारा पाठक
वर्सोवा, मुंबई, महाराष्ट्र
———————————————

अड़ियल टट्टू
——————————

टिक टिक टिक टिक घोड़ा।
देखो सरपट दौड़ा।
घोड़े को लगाम लगाई।
उसे लगाम रास न आई।
मारी घोड़े ने दुलत्ती।

टूट गई सब पसली हड्डी।
भागा भागा डॉक्टर आया।
डॉक्टर ने इंजेक्शन लगाया।
कर दी मलहम पट्टी।
घोड़े से हो गई कट्टी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *