तारा पाठक की कुमाऊनी कहानी … कउलि
तारा पाठक
हल्द्वानी, उत्तराखंड
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कउलि
भौ मुखड़ देखण है पैंली वी मन में औरै कवमवाट लागी भय।कें भौ रंग में म्यरै जस भयो, के होल। मैंल जसि भुक्ती मेरि औलाद कें उस नि भुक्तण पड़ौ। गोरी मुखड़ि नानि भौकि देखी, बिमला कैं यस लागौ,जाणी वीक कतू जनमा पुन्य_ परताप फलि गीं। भौ रंग में बाबू पर न्हैगे लेकिन तिख नाख_मूख ऐन मैन वीकै जस छी। नौ म्हैणैं धुक _धुक आज थामी गे। वी मन में संच पड़ि गेछी।
बिमलाल् आँख बुजीं और पुजि गे पाँच साल पछिलै जिंदगी में। जब पैंल बारि उकें देखण हुं एक मिडिल स्कूलौ मास्टर और वीक बाबू आई। इजैल साड़ि पैरैबेर, उकें बणै_ _ठणै बेर चहा ट्रे हात में थमै। उ चाख में चहा ट्रे टेबुल में धरिबेर भितेर ऐगे। थ्वाड़ै देर में बिमला बाबूल कौ__
“चेली यो चहा भा्न ल्हिजा।”
बिमला ल् नानि बैंणि उमा कें भैर कै धक्यै दे। मास्टर और वी बाबू द्वियै चाइयै रैगीं। उमा भितेर जाई बाद मास्टरौ बाबू ल् बिमला बाबू धें पुछौ_”यो नानि तुमरी छ।”
उनूंल होइ कौ।
थ्वाड़ै देर एथकै _उथकै बात भईं , उनार जाण बखत बिमला बाबू ल् पुछौ_
“पै महाराज कस बिचार छ आपण?”
मास्टरा बाबू ल् कौ _”पछा घर जैबेर यै मै धैं राय _मशबिर करुंल। जल्दी बतूंल हो महाराज।”
मास्टर और मास्टरा बाबू जाइया तिसार दिन बिचौलिया हा्त जो जुबाब आ, वील सार घर में चलक जस ऐगोछी। बिचौलियैल कौ_ “तुमरि नानि चेलि मन ऐरै उनार। मंजूर होलौ जुबाब दि दिया।”
“यस कसी है सकं। एतू त उनूंल लै सोचण चें। नानी ब्या करुंलो ,हमरि ठुलि चेलि खोटी नि जाली। “बिमला बाबू ल् आपणि मजबुरी बिचौलिया सामणि धरी।
“अरे! महाराज खान पिन घर छ, ऐल नै कै देला भोल हुं पस्ताला। तीन चेली छन तुमार। एक लै लग लागि जाली तुमार ख्वारौ बोज का्न में ऐ जाल।”
“उसी त तुमर कूण लै ठीकै छ, फिर लै एक बारि म्यार जाग लै ठाड़ है बेर देखौ। मैं के कूंल भोल हुं ,जब नानी ब्या बाद ठुलि हुं बर ढुंणुंल।”
“मैं ढुणुंल, जसी यो रिश्त लै र्यूं।”
ब्याकर महा सट्टी भय। वील आपण बातों क् मच्छीमार जाव बिमला बाबू ख्वारन खिदौ।
फंसि गोछी उं।
“एक बारि चेली मै धें लै पुछि ल्ह्यूं ,धैं के कैं उ।”
“अरे! महाराज,उं के कौल ।चेलि बेऊण त भई।”
“फिर लै” एतुकै कै सकीं वी बाबू।
भितेर इजैल मुनइ टोर करि दे। वी लिजी मुसै जसि जिबाइ है गेछी।
चाख में आईं बाबू,चुप्प बैठि गीं।ब्याकर मंत्र फुकण में माहिर छी।
वील लपेटि_लापेटि उनार मूख बटी होइ कवै ल्हे। जान _जानै एतू लै कैगो _”भोवै बटी ठुली लिजी लै बर ढुंणुंल।है सकलो एक्कै लगन में द्वीनों कै ब्या करै द्यूंल।”
असल में चहा भान उठूण हुं जब उमा चाख में गे त वी रंग -रूप देखि बेर मास्टर और वी बाबू बिचार बदली गोछी। उमा भौत गोरि _फनार भै। कां बिमला काई काइ_कां उमा पिसियौ ढिण।
ब्याकरा जाइया बाद वी बाबू भितेर आईं। इज पर बादल जास फाटि पड़ीं_”त्यार कैल कभैं भाल काम लै भईं।के जरवत छी उमुलि कें भैर भेजणेंकि।”
इजैल मरी जै अवाज में कौ_”ठीकै कुणौ ब्याकर। एक बोज लै बिसाई जालो।”
बाबू ल् उखाइ जस भरी बेर कौ_”ब्याकरौ के जाणौं। वी गाव लागि रै चेलि। तु कभें त डिमाकैल काम कर। भोल हुं बिमुली ब्या करण कठिन है जाल।”
बाबू दनदनानैं भैर हुं जानैं रईं। इजैल आंँचला ठोकैल आँख पोंछी और दातुल उठा तली सारिन हुं न्हैगे।बिमला आपणि गलती पर आफी पस्ताणेंछी_”मेरि शरम मैं कें खै गे।चहा गिलास मैं उठै लाई हुनी ,ऐल यो नौमतै नि ऊंनि। जो बर दगाड़ म्यार ब्या बात चलि रौछी ,आब उ दगाड़ उमा ब्या होलो मैं कसी वी मूख चांल।”
जतू बारि उमा पर डीठ पड़लि, वी कानों में बाबू बोल सुणाई दिनेर भाय।उ सोचनेर भै यो उमुलि नि हुनी ,एसी म्यर ब्या नि हटकीन।मनै_मन उ उमा देखि खार खानेर भै। ब्या दिन नजीक आते गईं। बिमला लिजी रिश्त ल्यूंणी बिचौलियौ नि पल्ट हैगोय। नानि बैंणि उमा दिन पर दिन अनार जसि खिलणेंछी और उ पालङ जसि ह्वैलाते जाणेंछी। घर उछिटणा दिन उमा ल् जब कौ _”त कमेटैल म्यार हात _खुट फाटि जाल। मैं सबों लिजी चहा बणै द्यूंल”। इजैल लै के नि कय। सुणि बेर बिमला ख्वार बटी खुटन जालै जलि बेर छार_छार हैगेइ। गौं सबै स्यैंणी घर उछिटण हुं आई भाय। बोजी जो लागंछी उं उमा दगै खिचरोई में लागी भाय। नानि बैंणि हेमा अलगै फुर्म्याई भै।उ सालि बणनी छी। ज्वातों डबल कतू मागण चैनी कै वीक हिसाप लागणाय। घर में पैंल _पैंल काज ठैरीण भय। सबै खुशि होई भाय। आब त बाबू लै बिमला ब्या सोर _जिकर नि करणौंछी।ब्या खुशी में सबै मातीण भाय, बस एक बिमला भै जो दिन पर दिन झुरी ऊणैइ।
ब्या द्वि दिन पैंली ब्योलि कें पिठ्या लगूणी आईं, रत्तै बटी घर में चहल_पहल होई भै। गौं _बाखई स्यैणी_बैग जाम होई भाय। एक तरुब उमा सिंगार हुणय, दुसर तरुब बिमला गोठौ कच्यार पोछणैं। गुबरा सानीण हात _खुट देखि बेर मन _मनै डाड़ मारणैं।
उमा ब्या होई द्वि साल है गोछी। यो द्वि सालों में जाणी कतू चेली मङजगि आईं।कैकें लै बिमला मन नि आइ।कारण हर बारि वीक काल रंग हुनेर भय।बाबू चिङान हैबेर कुनेर भाय_”चिन्ह उतार _उतारनें कतू कॉपि फाड़ि हालीं।पत्त नें कदिन होल तैक ब्या।हेमा लै बेऊणें उमर में ऐगे।त ओढ़ जसि बीच में भैरै।”
इज उनन चुप करण हुं कुबेर भै _”नानि_नानि में बलावौ।बिमला सुणली उकें नक लागल।”
बिमला पैंली_पैंली डाड़ मारनेर भै।पछा_पछा उ पाथर जसि हैगेछी।उदिन त हद्द हैगेछी,जदिन बाबूल इजा मुख सामणि बज्जर बाणि जसि करी_”त ‘कउली’ ब्या करण म्यार बसै बात न्हैं आब।माल मोव बसुवै दुल्हैंणि आपण भै लिजी हिमुलि मांगणें।के कूंछी पै?”
इज तल ढुंग _मल पाथर हैगेछी।
इजौ चुप रूणौं मतलब बाबू लिजी हमेशा ‘होइ’ हुंछी।
हेमा ब्या दिन उमा आपण दुल्हौ दगाड़ दस दिन पैंलियै ऐ गेछी। इजैल कै राखछी _”जब उमा आलि तबै नौं लुकुड़ ल्यूंल। उकें भल अंताज छ लुकुड़ोंक।”
जदिन बटी उमा ब्या भौ,उमा आपण दुल्हौ दगाड़ मैत आली बिमला लिजी घर में रूंण सजा जसि है जानेर भै।
लुकुड़ ल्यूणां दिन बिमला बण हुं जाणेंछी जब, इजैल कौ_”चेली आज ब्या लुकुड़ मोलूण हुं जाण छ, तु बण कां जाणेंछी?”
बिमला ल् इजा मुख ऐसी चा जाणी बात वी समझै में नि आय।
इजैल फिर कौ_”आपण_आपण मन माफिक लुकुड़ सबै ल्याल, तुलै हिट।”
“तुमें लि अया म्यार लिजी लै। मैं के करुंल ऐबेर। एक जणी घर लै चैं।”
बिमला भैर हुं जाण भैटी, फिर इजैल कौ_”भल कामा बखत त्यर मूख अन्यार पट्ट किलै है जां।”
“म्यर मूख किलै अन्यार हुं के तुमन पत्त न्हैं।”मन_ मनै वील दोरंतर दे।
आज जालै बाबू के कौला लै बिमला मन मारि ल्हिनेर भै। कम से कम इज त कभैं कु लफ्ज निकूनि। आज इजैल जे कौछऽ वी ख्वारन अगास टुटि बेर ऐ पड़ौ। आब वी लिजी घर और घर वाल सब पराय हैगोछी।
उ जत्ती छी उत्ती खड़्याई जसि रैगे।कतू देर एसिकै रै जाणी। मन में के बिचार आईं,के नि ऐ। अपघात करणैं बात लै वी मन में ऐ , लेकिन फिर इजा बोल कानों में पड़ीं”वील आपण हातोंल पट्ट कान बुजि दीं, फिर लै निनिर जा्स बाजणें में छी।
ब्याखुली टैम सब लुकुड़ ल्यूंण हुं गीं।बा्ट पना उमा, हेमा और उमा दुल्हौ खितखिताट पाड़नाय, इज_बाबू लै बीच-बीच में भाग जसि लगूणाय।उनार हंसन मुखाड़ों में बिमला आपाण ब्या फिकरा चिम्वाड़ ढुंणन में लागी भै, जनर पत्त पाणि नि भय। उनार दगाड़ उ हुमण जस पिछ्याड़ि _पिछ्याड़ी लागी भै। साड़ि छांटण बखत दुकानदारै ल् लै वी तरूब नि चाय।उमा_हेमा धें कुनेर भय_
“ये कलर आप पर बहुत खिलेगा।ये देखो, ये वाली साड़ी तो जैसे आपके लिए ही बनी हो।”
बैंणी लै आपण रंग_रूपा अघिल उकें भुली भाय।बरा लुकुड़ खरीदीं। उमा दुल्हौ लिजी द्वि जोड़ी सूट,बाबू लिजी फिर इजै मनैं साड़ि खरीदीं, अंत में उनन याद ऐं कि _बिमुलि लै त छ आइ।
वी लिजी लुकुड़ छांटण बखत दुकानदारैल अजीब ट्यड़ थोव करि बेर कौ_”इनके लिएऽऽ कौन सा रंग सही रहेगा?”
भौत वल्टूण_पल्टूण बाद उधें छांटण हुं कौ। के छांटछी,एक साड़ि उज्याणि हात करौ।उ सोचणेंछी_ कसी यो दुकान बटी भैर जाईं।
इजैल दुसरि साड़ि ल्हे तो वील के नि कय।
उ रात उकें नींन नि ऐ।पत्त ना दुकानदार को जनमौ दुश्मण छी।रंग गोर हुणैं सबसे ठुल गुण मानी जां के।म्यर रंग काल छ यमें म्यर के दोष?आब त उकें ब्या नाम पर लै छि घ्यैंणि हैगेछी।
जस __जसै हेमा ब्या दिन नजीक ऊणाइ, घर में अड़ोस_पड़ोसियों हिलधार लागण शुरू है गोय। गणेश में दुब धरी बटी सांस पड़ी शकुनाखर और बनाड़ों झमैक होई भै। जतू बारि पौण _पच्छी ऊणाय, उतू बारि शांक बाजनेर भै। उतुकै बारि बिमला कल्जन वैर जस पड़नेर भय। शकुनाखरों टैम पर उ गोठ__ पाता नियैल छान न्हैजानेर भै। स्यैणियों बीच में बैठण वी लिजी झेलखाण जस हुनेर भय। उकें देखि बेर क्वे आँख मटकाल ,क्वे खुसखुसाट कराल। हद्द तब है जानेर भै जब क्वे बुढ़ि आ्म मुक्खै लै कै दिनेर भै_”त बिमुलि खड़्यूणी बर कां हरा हुन्योल।”
उभत बिमला मन में कतू किसमा सोर ऊनेर भाय_”यो धरती फाटि जानि और सीता माता चारी मैं उमें समै जान्यूं। मैंकें बीमारी लै नि खै जाणें।म्यार लिजिया कावा जास दिन पुर्यूण है रीं। दुसर मन
कमर बादि बेर मुखतिर ठाड़ है जानेर भय _के दुणी में क्वे का्व नि हुंनऽ,आज जालै क्वे काइ चेली ब्या नि भय के? हमार गौं में कतू का्व छन।उचेड़ी खाल वालनैं हुं के ज्यूंन रूणौं अधिकार?”
जसी_तसी आपण मन थामण है जानेर भय बिमला लिजी।
द्वियै ना्न बैंणी नाच _गीत में अघिल भाय।बिमला कें नाच लै ऊनेर भय,गीत लै भल गानेर भै लेकिन का्व रंग वी लिजी सबै जा्ग काऽव जस ठाड़ है रूनेर भय। वी सीप__शहुर का्व रंगा अघिल गनेला सींग जस लुकि जानेर भय।
चेली बरेतिन बिटमणा गीत कूणाय।उ तरुब बटी बरेती लै चेलियों अलग-अलग नाम धरिबेर खिचरोई करणाय। यां लै बिमला निमाई दी जसि एक कुण लै बैठी भै। कन्दाना बखत उमा सार _पतार में लागी भै। वी दुल्हौ बरेतियों चहा _पाणि में लागी भय। यां लै बिमला छ न्हैं कै के पत्त नि चलणय।उमा कें देखि बेर सबै खुशि होई भै।
बर_ब्योलि कें अशीष दिण बखत, ग्वाल में नमस्कार कूण बखत बिमला कें लै ढुणी गो। बर्यात जाण बखत हेमा सबों गावन अङ्वाव हालि बेर डाड़ा_ डाड़ करणैइ। बिमला गव लै भरी आ,एक बैणि डाड़ मारणैंइ _बाबू घर छुटि गो कै। एक बैणी गव भरीणैं रै गोय _बाबू घर बटी कसी छुटूं कै।लगनों म्हैण आल _जाल _फिर आल लेकिन को म्हैण होल जब वी ब्या लै होल।
देइ पुजण बखत गिदारि आमैंल हेमा धें कौ__”पोथा त साङव कें जोर _जोरैल खड़बड़ै जा। पैंली बटी कूंछी__जल्दी दुसरि चेली ब्या है जां।”
बिमला मूख निचोड़ी जस गोय,क्वे लै के कवौ, बिमला कें लागनेर भय सब म्यारै लिजी कुणी।
हेमा ब्या बाद घर सुन्न है गोछी।द्वि _चार दिन बाद उमा लै आपण सरास हुं न्हैगेछी। इज _बाबू आपण काम में लागि रूंछी।उ लै सानि_सानी काम करि ल्यूनेर भै। घर में उ छ न्है बरोबरि हैगोछी। नान बैणी मैत आला, गौं पना उठणी_बैठणी लै ऐ जानेर भै।
देखन _चानैं दिन_म्हैंण_बरस बिति गोइ ,बिमला गिदार आ्मौ कई भुली नि भै __ पोथा त साङव कें जोर_जोरैल खड़बड़ै जा ,दुसरि चेली जल्दी ब्या हुं।
मन लै भौत जिद्दी हुं।निराशा रूड़ में सुकि बेर लै, आशा द्वि त्वाप के पड़नी चौमासि बण जस पौई ऊं।बिमला आमा मुखा बोल भुलै नि सकि।वील लै सुणी भय _कभतै कैकै मुख बटी सरसोति बलैं।शैद विश्वास में भौत तागत हैं।
लगनों म्हैण फिर शुरू है गोछी उसी त कतू लगन बित लेकिन अल्बेरा लगनों में बिमला मन हिनोइ जसि खेलणौछी।कतू बार आपण मन कें आफी टोकनेर भै ,फिर लै लकुन_शकुन कूनी,उनन क्वे रोकि नि सकन।
एक दिन वी बुब मैत ऐ।रात कै सितण बखत भितेर इज_बाब और बुब में गुणमुणाट होई भय।भौत देर बाद इज बिमला दिसाण पर ऐ।बिमला कें नींन नि आई भै।खुसूपाड़ि इजैल कौ_”बिमा चेली से गेछी।”
बिमला कें आपण कानों में बिश्वासै नि आय।जाणि कतू सालों बाद इजैल आज उधें ‘बिमा’
कौ हुन्योल।एक बारि और बिमा सुणनौ लोभ में उ कटरी रै।इजैल उकें हलकै बेर फिर ‘बिमा चेली’ कौ छ,वील टुप्प कै आँख खोलि दीं।
“चेली तुकें तेरि बुब बलूणी।”
आज पैंल बारि बिमला मन में जस कसमसाट भौ, उस पैंली कभै नि भय।आङ लकलकान और पस्यण _पस्यण है गोय।
भितेर बाबू और बुब वीकै इंतजार में बैठी भाय।दुसरि बारि उकें अचर्ज तब भौ जब बाबुल वी नाम लि बेर बैठ कौ।
बुबुल कौ _”इजा तुधें एक बात पुछण छी।”
मैं और मैं धें पुछण—आज के सुणन्यूं मैं यस।बिमला बुबू मुख नि चै सकि । बुब वी मनै बात समझि गेछी शैद। बुबुल वी खोर मलाशि बेर कौ_
“हमर भाण्ज बेऊण हैरौ, मैं सोचण्यूं ,तु होइ कूंछी वां बात करछ्यां।”
बिमला ल् मुनइ टोर करि दे।मन_मनै सोचणैं। मैं होइ कूंल लै,पैंली आपण भाण्ज धें पुछौ।उं होइ कौलऽ।
बीच में बाबु बलाणी _”दिदी हमरि चेलि गोठै बादण पा्न भै।सा्र गौं क्वे कै चावौ यै बार में गलत।”
“भुला हमर भाण्ज लै यसै छ। मैं कसी यैक नक चां,कसी वीक नक चांल।हमरि नंद रोजै बीमारै भै।जां लै ब्या बात चलाई हम साफ बतूनेर भयां।मै बीमार छ कै क्वे चेलि नि मंसानेर भै।”
एक बारि त बिमला मन कुणय_ना कै द्यूं, फिर दुसर मनैल्
सजाग हैबेर कौ_किलै के सोचिबेर ना कुणेछी।आइ कतू सुणन चांछी _त बिमुलि बेऊणें रैगे।
दुसार दिन बुब आपण सरास न्हैगेइ।थ्वाड़ दिनों में बर और बरा बाबू बिमला कें देखण हुं आईं।बिमला मन में शंक पैंलियै बटी भै _कें नैं कै देला के हो्ल कै। उनूंल
चहा _पाणि पिबेर कौ _”हमन कन्य भौत मन ऐरै। तुमरि दिदिल वी बार में सब बतै राखौ।हम देखण हुं नैं आपूं लोगों दगाड़ मिलण हुं ऐर्यां। आपूं लोगों के बिचार छ?कन्य कें हमर च्यल मन आछऽ ,नि आय। पुछि ल्हिया।बांकि अघिल कै बिमला ल् के नि सुणि सक,आज जालै जो सुणन हुं वी कान तरसं छी।आज उ साध पुरि हैगेछी।
बिमला ल् कभें स्वैंण में लै नि सोच हुन्योल कि _ का्व रंग हुणा वील देर में सही लेकिन ना्न बैणियों है भल घर-बार उकें मिलल।
आपणि जिंदगी में बिमला उ दिन कभें नि भुलि सकछी ,जदिन बुबू भाण्जैल उकें देखि बेर ब्या लिजी होइ कौ।
ब्या है बेर जब सरास गे , सा्स बीमार हुणा वील घरै हालत खराब होई भै।बैग_मैंस भैर बै कमै बेर भितेर लै सकनी लेकिन घर भितेरै सज_समाव घरिणी कै हा्त हुनेर भै।मुणि __मुणि कै वील सब कार समाइ ल्हे।सौर ज्यू और दुल्हौ द्वियै आब घरा तरुब बटी निझरक हैगोछी।सास कें मुख बलाण हुं जण के मिलौ मुणि _मुणि कै छाइ है ऐ।बिमला कें भनार सौंपण बखत सासुल कौ__”तु यो घरै लक्ष्मी छै, आज बटी सब हात_अक्त्यार त्यर भय।”
“बिमा चेली कसि हैरै छै?”वी कानों में इजकि मयालि अवाज पड़ी ,वील आँख खोलीं _सामणि में इज _बाबू और द्वियै बैंणी ठा्ड़ होई भाय।
द्वियै बैंणी अङ्वाव हालि बेर कूण भैटीं_”दी भौ मूख देखा धें।”
आज बिमला क् मन में गिलानी न्हैंती। द्वियै बैणियों नानतिनों है ज्यादे गोरि_फनार वी भौ है रैछी।