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मुख्यमंत्री का आश्वासन.. अशासकीय महाविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी व छात्रों को नहीं होगा नुकसान

-उत्तराखंड विश्वविद्यालय व महाविद्यालय शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष व संरक्षक डॉ ओपी कुलश्रेष्ठ और गढ़वाल विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव डॉ डीके त्यागी ने नेतृत्व में सोमवार को मुख्यमंत्री से मिला शिक्षकों का प्रतिनिधिमंडल

देहरादून (Dehradun)। उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2020 (Uttarakhand state university act 2020) में शामिल न किए गए प्रावधानों और उच्च शिक्षा से जुड़े अन्य विषयों पर महाविद्यालय शिक्षक प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री (cm) त्रिवेंद्र सिंह रावत (trivendra Singh Rawat) से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि अशासकीय महाविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं की किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। सरकार उनके हितों का खयाल रखेगी। साथ ही राज्य व उच्च शिक्षा के हित में सरकार निर्णय लेगी।
उत्तराखंड विश्वविद्यालय व महाविद्यालय शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष व संरक्षक डॉ ओपी कुलश्रेष्ठ (op kulshresth) और गढ़वाल विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव डॉ डीके त्यागी (DK tyagi) ने नेतृत्व में सोमवार को शिक्षकों का प्रतिनिधिमंडल (teachers deligation) मुख्यमंत्री से मिला। उन्होंने विभिन्न मुद्दे मुख्यमंत्री के समक्ष रखे, जिन पर सकारात्मक चर्चा हुई। प्रतिनिधिमंडल में डॉ संदीप नेगी महासचिव एसजीआरआर (पीजी) कॉलेज देहरादून ओर डॉ हरबीर सिंह रंधावा मीडिया प्रभारी शामिल थे।

मुख्यमंत्री के साथ इन बिंदुओं पर हुई बात

-प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को बताया गया कि अब तक उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय (उत्तरांचल अनुकूलन एवं अंतरण अधिनियम आदेश 2001) प्रभावी था, जिसमें उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 को अंगीकृत किया गया था। उसी के आधार पर सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षक-कर्मचारियों का वेतन का पूर्ण दायित्व राज्य सरकार पर है। लेकिन, उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2020 में चैप्टर XI-A Payment of salary to teachers and other employees of degree colleges शामिल नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा मंत्री से विचार-विमर्श कर इस चैप्टर को जोड़ने के लिए यह कहकर आश्वस्त किया कि शिक्षकों की समस्याओं का निराकरण प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा गया कि यदि शिक्षकों की नई नियुक्तियों की नीति में परिवर्तन किया भी जाता है तो पहले से सेवारत शिक्षकों की सेवा शर्तें व वेतन आदि अप्रभावित रहेंगे।

-शासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में अनुदान के कारण ही छात्र-छात्राओं से नाममात्र का शिक्षण शुल्क लिया जाता है। अनुदान बंद होने से छात्र-छात्राओं की फीस 10 से 20 गुना बढ़ जाएगी। इस पर मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि उत्तराखंड के छात्र-छात्राओं के शैक्षिक हितों की रक्षा के लिए सरकार कटिबद्ध है। केंद्र की मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति के अनुसार उन्हें अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

-अनुदानित महाविद्यालयों की संबद्धता केंद्रीय विश्वविद्यालय हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय श्रीनगर (गढ़वाल) से होने के कारण राज्य सरकार की ओर से दिए जाने वाले अनुदान प्रभावित होने की आशंका आदि पर स्पष्ट किया गया कि सहायता प्राप्त शासकीय महाविद्यालयों की संबद्धता किस विश्वविद्यालय के साथ हो, यह शासन स्तर का विषय है। यह महाविद्यालय 2009 के पार्लिमेंट एक्ट के तहत हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय से शैक्षणिक रूप से संबद्ध हैं। इसका प्रकरण उच्च न्यायालय में विचाराधीन है।

-मुख्यमंत्री के यह कहने पर कि उत्तर प्रदेश में भी राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 में संशोधन किया गया है और पूर्ण वेतन की ग्रांट उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में भी नहीं दी जा रही है। इस पर शिक्षक प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश के 331 सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में शत-प्रतिशत वेतन ग्रांट उत्तर प्रदेश सरकार दे रही है। प्रोत्साहन धनराशि मात्र उन self-finance महाविद्यालयों को दी जा रही है जो कि असेवित क्षेत्रों में संस्थाओं ने खोले हैं और निर्धारित अवधि तक उच्च शिक्षा में सेवा दे रहे होते हैं।

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