तेरी यादों का समंदर विशाल होता है…जब बरसी प्रेम की रसधार
-काव्य श्री जैन परी फेसबुक पेज’ पर शनिवार को आयोजित किया गया अखिल भारतीय लाइव कवि सम्मेलन ‘काव्य के रंग शोभना के संग’, संयोजक रहे डॉ सुरेन्द्र कुमार जैन
-कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि/साहित्यकार/पत्रकार वीरेंद्र डंगवाल “पार्थ” (देहरादून उत्तराखंड) ने की। जबकि संचालन वरिष्ठ कवियित्री/प्रसिद्ध संचालिका शोभना ऋतु शुक्ला (राजस्थान) ने किया। कवि सम्मेलन में विभिन्न राज्यों के कवियों ने किया काव्यपाठ
शब्द रथ न्यूज। ‘काव्य श्री जैन परी फेसबुक पेज’ पर शनिवार को अखिल भारतीय लाइव कवि सम्मेलन ‘काव्य के रंग शोभना के संग’ आयोजित किया गया। कवि सम्मेलन में प्रीत की रसधार बरसी। कवियों ने महिया, मुक्तक, दोहे, गीत और ग़ज़ल सुनाकर आयोजन को यादगार बना दिया। कवि सम्मेलन की लोकप्रियता का आलम यह रहा कि फेसबुक पर कवि सम्मेलन के वीडियो को अब तक 639 बार शेयर किया जा चुका है।
ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आगाज शोभना ऋतु शुक्ला ने मां शारदे का आह्वान करते हुए ‘भाव के हैं पुष्प गीत छंद रूपी माला मेरी, मात शारदे अब हर स्वीकार कर’ की।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि/साहित्यकार/पत्रकार वीरेंद्र डंगवाल “पार्थ” (देहरादून उत्तराखंड) ने भारत भूमि को नमन करते हुए पढ़ा ‘ धड़के है दिल मात भारती के नाम से, देश भावना का यश गान लिख लीजिए ‘। उन्होंने प्रेम पर माहिया ‘ हम तेरी यादों में, यारा बहुत रोए, रिम झिम बरसात में ‘ और कह मुक री साथ हमारा था दिन रैना, दोनों का था एक बिछौना, बिछुड़े तो बरसे थे नयना, क्य सखि साजन, न सखि बहना सुनाकर श्रोताओं की वाहवाही लूट टी। ग़जल में उन्होंने कुछ इस पर प्रीत की बात कही तेरी यादों का समंदर विशाल होता है, घेर लेता है तम तब मशाल होता है।
गाजियाबाद उत्तर प्रदेश से मधुर आवाज की स्वामिनी डा ज्योति उपाध्याय ने काव्यपाठ की शुरुआत करते हुए कुछ इस तरह अपना परिचय दिया ‘ दिल ओ जज्बात से मैं हर किसी से बात करती हूं, अगर जो दिल को भा जाए तभी मुलाकात करती हूं, यही पहचान है मेरी यही है सादगी मेरी, बयां हर बात पे दिल की सभी हालत करती हूं’। उन्होंने गीत पढ़ते हुए कहा कि ‘सुन मेरे अल्ला सुन मेरे ईश्वर,सुन ले मेरी पुकार, कब से खड़ी हूं दरस को तेरे खोल दे दरबार’। इसके बाद माहिया पढ़कर डॉ ज्योति ने सभी मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने पढ़ा ‘ सूनी हैं गालियां, इनको नहीं मसलों, ये छोटी सी कलियां’ और ‘रिश्तों की बुनियादें, साथ नहीं हर पल, बन जाती हैं यादें’।
भिवानी हरियाणा के विकास यशकीर्ति ने पिता पर कई शानदार मुक्तक सुनाए। उन्हें श्रोताओं का खूब प्यार मिला। उन्होंने पढ़ा ‘मधुर शहनाई में हम काश गम के ख्वाब न बोते, बनी जब लाडली दुल्हन न यूं हैंसला खोते, विदा होते हुए मुझको बड़ी लगने लगी बिटिया, कहा जब पोंछ कर आंसू पापा यूं नहीं रोते’। पिता पर ही उनका दूसरा मुक्तक ‘मैंने उनके पर्वत को इक दरिया होते देखा है, मैंने बूढ़े बरगद को भी धीरज खोते देखा है, कल जब डोली उठती देखी घर आंगन से बहना की, बाबा को भी छुप छुप कर बच्चों से रोते देखा है’।
ओंकारेश्वर से कवियित्री व राष्ट्रीय स्तर की बॉक्सर शारदा ठाकुर ने बेटियों पर बहुत अच्छी रचनाएं सुनाई। शारदा ने पढ़ा ‘सातों सुर का ज्ञान रहे, मर्यादा का मान रहे, शब्द सुशोभित रहें सदा, संस्कारों का ध्यान रहे’। बेटियों की बात रखते हुए उन्होंने पढ़ा कि ‘शांति के साथ साथ क्रांति भी लिखती हूं, मैं अपने हाथों से मां भारती की आरती भी लिखती हूं, मैं शारदा हूं सिर पर हाथ है महाकाल का, इसलिए श्रृंगार के साथ संहार भी लिखती हूं’। देश में बेटियों पर होते जुल्म को उन्होंने इस तरह बयां कि ‘अखबार का एक किस्सा हूं रद्दी में बिक जाऊंगी, कोई आग लगाएगा फिर चर्चा में आ जाऊंगी’।
कवि सम्मेलन का सफल संचालन करते हुए राजस्थान से शोभना ऋतु शुक्ला ने शानदार मुक्तक सुनाकर काव्य की महफ़िल को ऊंचाइयां दी। उन्होंने पढ़ा कि ‘फूलों से खिलते हैं, सच्चे लोग मगर, मुश्किल से मिलते हैं’ और ‘जीवन एक आशा है, प्रीत भरे मन की, कोई परिभाषा है’। ‘मुझ से न खफा होना, दूर भले हो तुम, दिल से न जुदा होना’।