Sat. Nov 23rd, 2024

कैदी ने शिक्षा को हथियार बना रचा इतिहास

कैदी ने शिक्षा को हथियार बना रचा इतिहास, माना जिंदगी में कलम की है अहमियत

कोलकाता, बंदूक छोड़ कलम थामने वाले अर्नब दाम ने जेल में रहते हुए स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट उत्तीर्ण कर नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत की पहल की तो मानवीय पक्ष के आधार पर कोर्ट ने भी उन्हें मौका दिया। लेकिन अब अर्नब मानव शिल्पकार बनना चाहते हैं। साथ ही पीएचडी कर अनुसंधान की ओर बढ़ रहे हैं।

वहीं अर्नब के दिखाए मार्ग पर चल अब दीपक कुमार नाम के एक अन्य कैदी ने भी शिक्षा को हथियार बनाया है और उनकी मानें तो जिंदगी में कलम की अहमियत पर अधिक बल देने की जरूरत है। हथियार जिंदगी को खत्म करने का काम करता है, लेकिन कलम पथ भटके लोगों को सही मार्ग पर लाता है। इसलिए कलम की तुलना बंदूक से नहीं की जा सकती है।

दीपक ने नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट की परीक्षा दी व उन्हें उम्मीद है कि वे इस परीक्षा में सफल भी होंगे। आपको बातें दे कि दीपक को माओवादियों को हथियार सप्लाई करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। लेकिन सजा के दौरान अर्नब के साथ ने उन्हें पूरी तरह से बदल दिया और अब वो नई जिंदगी की शुरुआत कलम के साथ करने जा रहे हैं।

सुधार गृह के एक अधिकारी की मानें तो साल 2012 में दीपक को माओवादियों को हथियार सप्लाई करने के आरोप में कोलकाता से गिरफ्तार किया गया था, जो मूल रूप से छत्तीसगढ़ के निवासी है। 49 वर्षीय दीपक कभी भिलाई स्टील प्लांट में काम करते थे। वहीं गिरफ्तार के बाद जब अधिकारियों को इस बात की भनक लगी कि वे जेल से भागने के फिराक में हैं तो उन्हें दमदम सुधार गृह में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां वे अर्नब के संपर्क में आए और उन्होंने पढ़ाई की ओर कदम बढ़ाया।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से उन्होंने सामाजिक विज्ञान में एमए की परीक्षा दी व प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। वहीं अब हिंदी भाषा व साहित्य में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं और इस बीच उन्होंने नेट की भी परीक्षा दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *