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फिर बढ़ने लगी पेट्रोल की कीमत, बायोगैस की सब्सिडी ने भी रुलाया

देहरादून। एक बार फिर पेट्रोल की कीमतें धीरे-धीरे बढ़ने लगी हैं। दून में पेट्रोल 71.15 रुपये प्रति लीटर की दर से बिका, जबकि अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ जिले में पेट्रोल 71.34 रुपये प्रति लीटर रहा।

वहीं, दून में पिछले 10 दिन की बात करें तो पेट्रोल के दाम में एक रुपये से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले दो महीने में दो रुपए 43 पैसे की बढ़ोत्तरी हुई।

पिछले दो महीने से एक बार फिर पेट्रोल की कीमत धीरे-धीरे बढ़ने लगी है। पिछले 15 दिन में पेट्रोल के दाम में पांच पैसे से 20 पैसे तक की बढ़ोत्तरी लगभग प्रतिदिन होती गई है। यह बढ़ोत्तरी पैसों के रूप में भले ही मामूली सी लग रही हो, लेकिन 10 से 15 दिन में यह रुपये में बदल जा रही है। दिसंबर के अंत में दून में पेट्रोल 68.72 रुपये प्रति लीटर की दर से बिका, जो अब 71.15 रुपये प्रति लीटर हो चुका है।

पिछले छह दिनों के पेट्रोल के दाम

19 फरवरी————–71.15

18 फरवरी————–71.08

17 फरवरी————–70.94

16 फरवरी————–70.83

15 फरवरी————–70.72

14 फरवरी————–70. 65

बिन सब्सिडी ‘हवा’ में उड़ी बायो गैस योजना

देहरादून: बायोगैस के कॉन्सेप्ट को प्रोत्साहन देने के लिए शुरू की गई केंद्र सरकार की मुहिम प्रदेश में दम तोड़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार बायोगैस के लिए प्रेरित हो रहे हैं और बायो गैस संयंत्र तैयार कर रहे हैं, लेकिन सरकार से पिछले दो साल से कोई सब्सिडी नहीं मिल रही है। अब आलम ये है कि सब्सिडी न मिलने की वजह से लोग बायो गैस संयंत्र लगाने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।

प्रदेश के सभी जिलों से वर्ष 2018-19 के लिए 600 परिवारों ने बायो गैस संयंत्र बनाने को आवेदन किया है। इन परिवारों ने संयंत्र बनाने का कार्य शुरू भी कर दिया है। लेकिन, आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण अब इन्हें सरकार से मिलने वाली सब्सिडी का इंतजार है। ताकि, ये संयंत्र स्थापित किए जा सकें। ये परिवार विकास भंवन के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन विभाग को खुद मालूम नहीं कि बजट मिलेगा भी या नहीं।

पिछले वर्ष के भी 400 से ज्यादा परिवारों को सब्सिडी नहीं मिल पाई है। मुख्य विकास अधिकारी जीएस रावत का कहना है कि विभाग को बजट नहीं मिल पा रहा है। इस वजह से सब्सिडी नहीं दी जा सकी है।

क्या है योजना 

बायो गैस संयंत्र योजना केंद्र सरकार की ओर से संचालित होती है। इसमें परिवारों को गाय के गोबर से बायो गैस तैयार करने को प्रेरित किया जाता है। ताकि, लोग बायो गैस का इस्तेमाल चूल्हा जलाने में करें और लकड़ी का चूल्हा न जलाएं। क्योंकि लकड़ी के चूल्हे का धुआं हानिकारक होता है। योजना में परिवार को संयंत्र बनाने में 11 हजार रुपये की आर्थिक मदद सब्सिडी के रूप में दी जाती है।

वर्ष 2018-19 की स्थिति 

जिला————————-आवेदन

चमोली————————11

हरिद्वार———————125

पौड़ी—————————22

उत्तरकाशी——————-10

टिहरी————————-13

रुद्रप्रयाग———————–7

देहरादून———————118

पिथौरागढ़——————–17

यूएसनगर——————161

नैनीताल———————-80

बागेश्वर———————-7

चंपावत———————–7

अल्मोड़ा———————-22

कुल————————-600

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