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तुम पहली बारिश सी, मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू हूँ मैं..

चंदेल साहिब
कवि/लेखक
हिमाचल प्रदेश
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तुम पहली बारिश सी,
मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू हूँ मैं।

तुम मस्तानी शाम सी,
सूरज की अमिट रोशनी हूँ मैं।

तुम महलों की आरज़ू,
कच्चे मकानों का ख़्याल हूँ मैं।

तुम्हारा मोर सा नाचना,
पपीहे का रुदन जैसा हूँ मैं।

तुम दरख़्तों का श्रृंगार,
परिंदों का घोंसला सा हूँ मैं।

तुम सुहानी निर्मल पवन,
चाय की महक जैसा हूँ मैं।

तुम सावन की फ़ुहार सी,
रिमझिम बरसात सा हूँ मैं।

तुम गरजती बिज़ली सी,
इंद्रधनुष के रँगों जैसा हूँ मैं।

तुम पहली बारिश सी,
मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू हूँ मैं।

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सर्वाधिकार सुरक्षित।
प्रकाशित…..08/11/2020
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