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जानिए, राहुल गांधी ने चुनाव से पहले क्यों किया न्यूनतम आय की गारंटी का वादा

नई दिल्ली । केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा भले ही यह कह रही है कि राहुल गांधी ने सत्ता में आने पर न्यूनतम आय की गारंटी का खोखला वादा किया है क्योंकि इसे पूरा करने के लिए संसाधन कहां से आएंगे, इसका उनके पास कोई जवाब नहीं है लेकिन राहुल ने अपने इस दाव से भाजपा को बैकफुट पर ला दिया है।

खबर है कि कांग्रेस और राहुल को यह भनक लग गई थी कि केंद्र सरकार चुनावी साल में गरीबों के लिए न्यूनतम आय योजना लाने वाली है। इससे पहले कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इसकी घोषणा करती, राहुल ने इसका एलान कर बाजी मार ली। अब अगर सरकार इस संबंध में कोई कदम उठाती है तो राहुल और कांग्रेस पार्टी यह कह सकते हैं कि सरकार ने उनके दबाव में यह फैसला किया है।

राहुल एंड कंपनी को इसका आभास हो गया था कि मोदी सरकार 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले अंतरिम बजट में न्यूनतम आय गारंटी योजना को लेकर कोई घोषणा कर सकती है। दरअसल, जब से यह खबर आई है कि मोदी सरकार के वित्त मंत्री पीयूष गोयल अंतरिम बजट में चुनावी घोषणाएं भी कर सकते हैं, तभी से यह चर्चा है कि केंद्र सरकार इस दौरान न्यूनतम आय गारंटी को भी इसमें शामिल कर सकती है। इसके मद्देनजर माना जा रहा है कि राहुल ने अपने इस एलान से सरकार की एक बड़ी घोषणा की हवा निकाल दी है।

हालांकि सरकारी अधिकारियों का कहना है कि 1 फरवरी को अंतरिम बजट में मोदी सरकार न्यूनतम आय योजना को लेकर कोई घोषणा नहीं करने वाली है। उधर, भाजपा भी राहुल के इस कदम को राजनीतिक शोशेबाजी करार दे रही है जिसमें कोई दम नहीं है। वैसे अधिकारी बताते हैं कि राहुल गांधी ने न्यूनतम आय गारंटी योजना का यह आइडिया 2016-17 के आर्थिक सर्वे से उधार लिया है।

बहरहाल, इसमें कोई दोराय नहीं है कि राहुल गांधी ने यह घोषणा अचानक नहीं की है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में किसानों की कर्ज माफी योजना ने जिस तरह पार्टी के लिए संजीवनी का काम किया है, उसके मद्देनजर राष्ट्रीय स्तर पर गरीबों के लिए कोई घोषणा करने को लेकर कांग्रेस में काफी दिनों से विचार-विमर्श चल रहा था। इसका अंदाजा राहुल की इस घोषणा के बाद आए पी. चिदंबरम के बयान से लगाया जा सकता है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने राहुल के एलान के बाद कहा कि यह घोषणा हवा में नहीं की गई है और यह खोखली नहीं है बल्कि ऐसा करना संभव है और इसके लिए संसाधन जुटाना भी मुश्किल नहीं है।

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