छात्र-छात्राओं को सीधे प्रमोट करें या परीक्षा, विश्वविद्यालय खुद करेंगे निर्णय, यूजीसी ने किया किनारा
-विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने परीक्षाओं का फैसला विश्वविद्यालयों पर छोड़ दिया है। विश्वविद्यालय स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए परीक्षा को लेकर लेंगे निर्णय। ऐसे में विश्वविद्यालय प्रथम व द्वितीय वर्ष के छात्र छात्राओं की पिछले साल के अंकों के आधार पर प्रमोट करने की तैयारी कर रहे हैं। जबकि, अंतिम वर्ष की परीक्षा जुलाई अगस्त में होगी।
शब्द रथ न्यूज (ब्यूरो) shabd rath news। कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने विश्वविद्यालयों की परीक्षा से किनारा कर लिया है। आयोग ने फिलहाल परीक्षाओं का फैसला विश्वविद्यालयों पर छोड़ दिया है। ऐसे में विश्वविद्यालय स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए परीक्षाएं कराने या फिर छात्रों को सीधे प्रमोट करने का फैसला ले सकेंगे।
हालांकि अब तक की जो स्थिति है, उसमें ज्यादातर विश्वविद्यालयों ने अंतिम वर्ष को छोड़कर बाकी सभी छात्रों को बगैर परीक्षा के ही अगली कक्षाओं में प्रमोट करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए विश्वविद्यालयों ने यूजीसी की ओर से पिछले साल परीक्षाओं को लेकर तय गाइडलाइन को आधार बनाया है।
विश्वविद्यालय स्वायत्त संस्थान, इन्हे फैसला लेने का अधिकार
यूजीसी के सचिव डॉ रजनीश जैन ने बताया कि विश्वविद्यालय स्वायत्त संस्थान होते हैं। ऐसे में उन्हें परीक्षाओं व शैक्षणिक सत्र को लेकर अपने स्तर पर फैसला लेने का पूरा अधिकार है। यूजीसी का कहना है कि कोरोना संक्रमण का प्रभाव देश के अलग-अलग हिस्सों में कम व ज्यादा है। ऐसे में परीक्षाओं को लेकर इस बार कोई स्टैंडर्ड गाइडलाइन अभी तक नहीं बनाई गई है।
पिछले साल के प्रदर्शन के आधार पर प्रमोट करने की तैयारी शुरू
वहीं, विश्वविद्यालयों ने स्नातक के पहले व दूसरे वर्ष के छात्रों को आंतरिक आंकलन या फिर पिछले साल के प्रदर्शन के आधार पर अंक देकर प्रमोट करने की तैयारी शुरू कर दी है। साथ ही अंतिम वर्ष की परीक्षाएं जुलाई-अगस्त में कराने की योजना पर काम हो रहा है। वैसे, अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर कोई भी फैसला जून के पहले हफ्ते में कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा के बाद ही लिया जाएगा।