यूपीईएस ने मनाया विश्व ओजोन दिवस, वेबिनार में हुई पैनल चर्चा
देहरादून। यूपीईएस ने अपने वार्षिक कार्यक्रम एट मोस्ट फेयर 2k20 के साथ शनिवार को विश्व ओजोन दिवस विधोली परिसर में मनाया। विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ, सेफ्टी एंड इन्वायरनमेंट व सिविल इंजीनियरिंग विभाग के निर्देशन में ग्रीन उप क्लब की ओर से क्लाइमेट चेंज पर वेबिनार आयोजित किया। कार्यक्रम का शुभारंभ बतौर मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता पर्यावरणविद् व हैस्को के संस्थापक पद्मभूषण डॉ अनिल प्रकाश जोशी ने किया।
यूपीईएस के सीनियर डायरेक्टर मीडिया अरुण ढंड ने कहा कि एट मोस्ट फेयर 2k20 विश्व ओजोन दिवस पर विश्व विद्यालय की ओर से मनाया गया सातवां संस्करण था। ओजोन दिवस 1987 में ओजोन परत को कम करने वाले पदार्थों पर मंट्रियाल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने की याद दिलाता है। 2020 में इसके आयोजन की 33 वीं वर्षगांठ है। मुख्य अतिथि अनिल जोशी ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। संसाधन देश की जीडीपी में 50 प्रतिशत योगदान करते हैं। कोवीड 19 के कारण दुनियाभर में हुए नुक़सान ने साबित किया है कि प्रकृति के प्रति अपने दृष्टिकोण को हमें फिर से परिभाषित करना होगा। मानव केंद्रित विकास की परिभाषा से हमें बाहर आना होगा।
कार्यक्रम निदेशक एचएसई व सिविल इंजीनियरिंग विभाग डा निहाल अनवर सिद्दकी ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष कार्यक्रम ऑनलाइन आयोजित किए गए। इसी कारण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में कोई भी बाहरी क्षेत्र की गतिविधियां सम्मिलित नहीं की गई। मुख्य समन्वयक अभिषेक नंदन ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में मधुसूदन शर्मा, प्रस्ननजीत मंडल, डॉ विक्रम प्रसाद, अरुण, आशीष सिंह, वल्लुरू वेंकट कृष्णनाथ, तबस्सुम अब्बासी, वी सुरेंद्र, डॉ कंचन देवली, एसएम तौसीफ आदि ने सहयोग किया।
सबसेग दशक रहा वर्ष 2011-20
बायो डायवर्सिटी पीबीआर मॉनिटरिंग कमेटी नार्थ के चेयर मैन दा आरबीएस रावत ने कहा कि मौजूदा दशक 2011-20 को मानव जाति के सबसे गर्म दशक के रूप में देखा गया है। वर्ष 2019 अब तक के सबसे गर्म वर्ष के रिकार्ड में दूसरे नंबर पर रहा। जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी पर एक लाख से ज्यादा प्रजातियों का नुक़सान हुआ है। जितना ज्यादा हम जलवायु को बाधित करते हैं, उतना ही गंभीर व व्यापक जोखिम हम उठाते हैं। वेबीनार में सेंटर फॉर इको लॉजिकल एंड नेचुरल रिसोर्स बैंगलुरू के डॉ सुनील नौटियाल, गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्व विद्यालय की डा दीक्षा कात्याल, वैज्ञानिक दीपक सिंह बिष्ट, प्लास्टिक सर्जन पद्मश्री डॉ योगी एरान, डॉ लक्ष्मी प्रसाद पंत, डॉ रोहित जोशी, डॉ अनंत पांडेय आदि ने विचार रखे।