शिक्षा विभाग में अंधेरगर्दी: सरकार ने गेस्ट टीचर की तनख्वाह बढ़ाई तो संविदा शिक्षक की घटाई
-उत्तराखंड शिक्षा विभाग में राज्य बनने के बाद से अब तक व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पाई है। विभाग में नित नए कारनामें उजागर होते हैं। गत दिनों शैलेश मटियानी शैक्षिक पुरस्कार में किया गया गोलमाल उजागर हुआ। जिसे रद करना पड़ा। अब पहले तैनात संविदा शिक्षकों का वेतन करने बाद में तैनात गेस्ट टीचर से कम कर देने का मामला चर्चा में है।
वीरेंद्र डंगवाल “पार्थ”
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उत्तराखंड के शिक्षा विभाग में अंधेरगर्दी निरंतर जारी है। मंत्रालय से लेकर निदेशालय तक विभाग को व्यवस्थित करने में नाकाम हैं। इनके फैसलों से लगता है कि किसी को भी विभाग की जानकारी तक नहीं है, यदि जानकारी होती तो उल्टे निर्णय नहीं लिए जाते।
मामला राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों में तैनात संविदा शिक्षकों का है। यहां स्थाई नियुक्तियां न होने के कारण एलटी व प्रवक्ता संवर्ग में लगभग 15 वर्षों से संविदा शिक्षक तैनात हैं। इन शिक्षकों को पढ़ाए गए प्रति पीरियड के हिसाब से वेतन दिया जाता था। इसमें पीजीटी को लगभग 32500 हजार और टीजीटी को 31500 हजार वेतन मिल रहा था। नवम्बर 2020 में इन विद्यालयों में गेस्ट टीचर नियुक्ति किए गए। उन्हें पीजीटी 24 हजार और टीजीटी 22 हजार रुपए के फिक्स वेतन पर रखा गया।
ऐसे में शासन ने आदेश जारी किया कि राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों में तैनात संविदा शिक्षकों को भी गेस्ट टीचर की तरह 22 व 24 हजार रुपए वेतन मिलेगा। शासन के इस निर्णय में लंबे समय से तैनात व वरिष्ठ हो चुके शिक्षकों को नव नियुक्त गेस्ट टीचर के समकक्ष रख दिया गया और उनका वेतन भी 8500/9500 हजार रुपए कम कर दिया गया।
संविदा शिक्षकों को मिलेगा गेस्ट टीचर से कम वेतन
26 अगस्त को शासन ने गेस्ट टीचर का मानदेय बढ़ाने को लेकर आदेश जारी किया है। इसमें प्रदेशभर के राजकीय विद्यालयों में तैनात गेस्ट टीचर को 25000 हजार रुपया वेतन दिया जाएगा। अब तक उन्हें मात्र 15 हजार रुपया मिलता था। इस तरह इनका वेतन 10 हजार रुपए बढ़ा दिया गया है। जबकि, वर्ष 2000 में संविदा शिक्षकों का वेतन 8500/0500 हजार रुपए कम किया गया। संविदा शिक्षक 15 सालों से काम कर रहे हैं। जबकि, गेस्ट टीचरों की तैनाती उनसे बहुत बाद में हुई। ऐसे में संविदा शिक्षकों को अपने से कई साल जूनियर गेस्ट टीचर से कम वेतन मिलेगा।
धामी के राज में हुए असमानता के शिकार
संविदा शिक्षकों का कहना है कि वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जब मात्र विधायक थे। उस वक्त उन्होंने संविदा शिक्षकों का पक्ष रखते हुए उनकी सेवा बरकरार रखने के लिए शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे को पत्र लिखा था। लेकिन, अब धामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद संविदा शिक्षकों को वेतन को लेकर असमानता का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री के समक्ष मामला रखा। मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से तदर्थ नियुक्ति की मांग भी की। लेकिन, अभी तक उस पर कार्रवाई नहीं हुई।