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उत्तराखंड-यूपी संपत्ति बंटवारा: परिवहन निगम को मिलेंगे 205 करोड़ रुपए

-उत्तराखंड बनने के बाद वर्ष 2003 में उत्तराखंड परिवहन निगम का गठन हुआ था। इसके बाद से ही लगातार परिसंपत्तियों के बंटवारे का मुद्दा चलता आया है। गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की बैठक में उत्तराखंड ने इस रकम पर अपनी सहमति दे दी। हालांकि, उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन विरोध कर रही है।

शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath)। उत्तराखंड राज्य परिवहन निगम को उत्तर प्रदेश से बंटवारे में 205 करोड़ रुपए मिलेंगे। राज्य गठन के दो दशक बाद उत्तराखंड परिवहन निगम को परिसंपत्तियों के बंटवारे पर 205 करोड़ का हक मिला है। गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की बैठक में उत्तराखंड ने इस रकम पर अपनी सहमति दी गई है।

गौरतलब है कि उत्तराखंड बनने के बाद वर्ष 2003 में उत्तराखंड परिवहन निगम का गठन हुआ था। इसके बाद से लगातार परिसंपत्तियों के बंटवारे का मामला चल रहा है। उत्तराखंड परिवहन निगम की चार बड़ी परिसंपत्तियों में से बंटवारे का हिस्सा लेने के लिए कई बार बैठकें हुईं। लेकिन, कोई ठोस हल नहीं निकला था।

गुरुवार को हुई बैठक में परिवहन निगम की परिसंपत्तियों का मामला रखा गया। बताया गया कि नौ नवंबर 2000 को उत्तराखंड गठन और अक्तूबर 2003 में उत्तराखंड परिवहन निगम गठन के बीच उत्तराखंड में संचालित निगम की बसों का टैक्स यूपी परिवहन निगम के पास जमा था। यह राशि 50 करोड़ रुपये है। आज तक इसमें से यूपी ने केवल 14 करोड़ ही जमा कराया है, 36 करोड़ बकाया है।

उत्तराखंड परिवहन निगम की यूपी, दिल्ली में चार परिसंपत्तियों में 13.66 प्रतिशत अंश मिलना था। बैठक में यूपी से 205 करोड़ देने का प्रस्ताव आया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। लिहाजा, उत्तर प्रदेश परिवहन निगम इन परिसंपत्तियों की एवज में उत्तराखंड परिवहन निगम को 205 करोड़ का भुगतान करेगा। कई सौ करोड़ के घाटे में चल रहे उत्तराखंड परिवहन निगम को यूपी से मिलने वाली इस राशि से निश्चित तौर पर राहत मिलेगी। वर्तमान में बस संचालन सुचारू होने के बाद निगम अपने कर्मचारियों का वेतन तो दे पा रहा है लेकिन देनदारियों के मामले में अभी पीछे है।

इनमें था उत्तराखंड का 13.66 प्रतिशत हिस्सा

– अजमेरी गेट स्थित अतिथि गृह, नई दिल्ली
– उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के लखनऊ स्थित मुख्यालय एवं कार सेक्शन-कानपुर स्थित केंद्रीय कार्यशाला, एलन फॉरेस्ट कार्यशाला और ट्रेनिंग सेंटर

कर्मचारी यूनियन को बंटवारा स्वीकार नहीं

रोडवेज की जिन परिसंपत्तियों को कर्मचारी यूनियन ने आकलन के बाद 800 करोड़ का माना है, उनके लिए 205 करोड़ पर सहमति होने से यूनियन सहमत नहीं है। उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने कहा है कि जब तक बाजार मूल्य पर बात नहीं होगी, तब तक वह इस बंटवारे को स्वीकार नहीं करेंगे। दरअसल, उत्तर प्रदेश से परिवहन निगम की परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने वर्ष 2019 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट नैनीताल ने केंद्रीय परिवहन सचिव को तलब किया था। दोनों की बैठक कराई गई थी। हाईकोर्ट ने यूपी को आदेश दिए थे कि वह बंटवारे के तहत 28 करोड़ रुपये की किश्त के हिसाब से भुगतान करें। इसके खिलाफ यूपी परिवहन निगम के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। अब इस मामले में उच्चतम न्यायालय में सुनवाई चल रही है।

याचिका दायर करने वाली उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि बंटवारे के नियमों के हिसाब से परिसंपत्तियों के बाजार मूल्य का 13.66 प्रतिशत हिस्सा उत्तराखंड को मिलना था। जब उन्होंने याचिका दायर की थी तो उस वक्त इन परिसंपत्तियों का बाजार मूल्य करीब 50 हजार करोड़ रुपये था। इस हिसाब से उन्होंने न्यायालय में उत्तराखंड के हिस्से के 800 करोड़ देने की मांग रखी थी।

अशोक चौधरी के मुताबिक, उत्तराखंड सरकार ने जिन 205 करोड़ पर सहमति दी है, उससे ज्यादा तो 250 करोड़ रुपये केवल हमारी परिसंपत्तियों का सर्किल रेट के हिसाब से मूल्य है। उन्होंने इस फैसले को गलत करार दिया। उन्होंने कहा कि जब तक उत्तर प्रदेश, बाजार मूल्य के हिसाब से बंटवारा नहीं करेगा, तब तक वह इस समझौते को स्वीकार नहीं करेंगे। उनकी यूनियन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ती रहेगी।

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