उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन को अब लग सकेंगे पंख, मिली यह मंजूरी
देहरादून: उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन को अब पंख लग सकेंगे। कैबिनेट ने राज्य में पैराग्लाइडिंग समेत एयरो स्पोटर्स की असीम संभावनाओं को देखते हुए पहली बार उत्तराखंड फुट लांच एयरो स्पोटर्स, पैराग्लाइडिंग नियमावली को भी मंजूरी दे दी है। इसके तहत केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार पैराग्लाइडिंग संचालकों, पायलट और इंस्ट्रक्टर्स की योग्यता का निर्धारण, साहसिक गतिविधियों के नियंत्रण और जांच के लिए तकनीकी समिति व नियामक समिति गठित की गई हैं।
पैराग्लाइडिंग के लाइसेंस को आवेदन के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल पास रखी गई है। अलबत्ता, तकनीकी रूप से दक्ष कोई आवेदक 10 वीं पास नहीं है तो उसे दो साल के लिए अस्थायी लाइसेंस दिया जाएगा, ताकि इस अवधि में शैक्षिक योग्यता पूरी कर सके। नियमावली के अनुसार तकनीकी समिति प्रदेश में पैराग्लाइडिंग स्थलों का चयन करेगी। प्रत्येक ऑपरेटर को अधिकतम 10 व दो टेंडम पैराग्लाइडर संचालित करने की अनुमति देने का प्रावधान नियमावली में किया गया है। इससे पहले ऑपरेटरों को पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
नियमावली में ये भी प्रावधान
-टेंडम पायलट बनाने को न्यूनतम 100 घंटे की उड़ान का अनुभव आवश्यक।
-मुख्य प्रशिक्षक के लिए 200 घंटे की उड़ान और एक समय पर 50 किमी लंबी उड़ान का अनुभव व पैराग्लाइडिंग सेफ्ट में ट्रेंड होना जरूरी।
-पैराग्लाइडिंग गतिविधियों को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से समय-समय पर नए मानकों का होगा समावेश।
-पैराग्लाइडिंग को ड्रेस, सुरक्षा उपकरण, आयु सीमा के मानकों का निर्धारण।
-पैराग्लाइडिंग करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का बीमा कराएंगे ऑपरेटर।
पर्यावरण सुरक्षा का भी रखेंगे ख्याल
पैराग्लाइडिंग समेत अन्य एयरोस्पोटर्स गतिविधियों के दौरान पर्यावरणीय सुरक्षा का भी विशेष ख्याल रखा जाएगा। पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी करने पर दंड का प्रावधान भी नियमावली में किया गया है।
एडवेंचर स्पोटर्स की गतिविधियां सुचारू रूप से हो सकेंगी संचालित
सतपाल महाराज (पर्यटन मंत्री) का कहना है कि नई नियमावली में रिस्पोंसिबल और सस्टेनेबल टूरज्मि को बढ़ावा देने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण का विशेष ध्यान रखा गया है। साथ ही इस क्षेत्र से जुड़े लोगों के आर्थिक हितों को संरक्षित रखने का प्रयास किया गया है। अब राज्य में एडवेंचर स्पोटर्स की गतिविधियां सुचारू रूप से संचालित हो सकेंगी।
रोक हटाने के उद्देश्य से सरकार अदालत में रखेगी अपना पक्ष
दिलीप जावलकर (सचिव पर्यटन) का कहना है कि प्रदेश में किसी भी प्रकार की साहसिक गतिविधियों के संचालन के लिए उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद से अनुमति लेनी होगी। यही नहीं, राज्य में एयरो स्पोटर्स और व्हाइट वाटर स्पोटर्स पर लगी रोक हटाने के उद्देश्य से सरकार शीघ्र ही अदालत में अपना पक्ष रखेगी।
अब 65 साल में भी रिवर राफ्टिंग का लुत्फ
प्रदेश में गंगा समेत अन्य नदियों में रिवर राफ्टिंग का लुत्फ अब 65 साल की उम्र तक उठाया जा सकेगा। उत्तराखंड रिवर राफ्टिंग एवं कयाकिंग संशोधित नियमावली को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है, जिसमें राफ्टिंग के लिए अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष करने का प्रावधान किया गया है। पहले यह आयु सीमा 14 से 60 साल निर्धारित थी। यही नहीं, रिवर राफ्टिंग के लिए 31 अगस्त के बाद विलंब शुल्क के साथ सालभर लाइसेंस के लिए आवेदन किए जा सकेंगे।
रिवर राफ्टिंग एवं कयाकिंग नियमावली में संशोधन की लंबे समय से उठ रही मांग के बाद उत्तराखंड पर्यटन परिषद ने इसका मसौदा तैयार किया, जिसे बुधवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। नई नियमावली में कई संशोधन कर इसे व्यवहारिक बनाया गया है। रिवर राफ्टिंग के लिए लाइसेंस को पहले 31 अगस्त तक आवेदन शुल्क जमा करना होता था, लेकिन अब इसके बाद भी वर्षभर विलंब शुल्क के साथ आवेदन किए जा सकेंगे।
राफ्टिंग के लिए राफ्ट में लोगों की संख्या भी निर्धारित कर दी गई है। अब 16 फुट लंबी राफ्ट में आठ पर्यटक और दो गाइड ही बैठ पाएंगे। इसी प्रकार 14 फुट की राफ्ट के लिए दो गाइड समेत कुल आठ की संख्या तय की गई है। बताया गया कि नई नियमावली में अदालत के दिशा-निर्देशोंको भी सम्मिलित किया गया है।
ये भी प्रावधान
-प्रत्येक नदी में विशेष अभियानों के लिए लेनी होगी अनुमति।
-राफ्टिंग के दौरान धूमपान और किसी भी प्रकार के नशे का सेवन प्रतिबंधित।
-उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के मद्देनजर गंगा में प्रदूषण रोकने को राफ्टिंग ढुलान में प्रयुक्त होने वाले वाहन नदी तट से 100 मीटर के दायरे से आगे ले जाना प्रतिबंधित।
-राफ्टिंग तकनीकी समिति नदियों के दोनों किनारों पर राफ्ट नदी में उतारने व निकालने के स्थल करेगी चिह्नित।
-नदी तटों पर उपलब्ध राजस्व व वन भूमि में किसी प्रकार की पर्यटन गतिविधि के संचालन भूमि आवंटन से पहले पर्यटन विभाग से लेनी होगी अनुमति।