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शिक्षा विभाग की अंधेरगर्दी: चयनित शिक्षक के बजाय दूसरे को दे दिया पुरस्कार.. अब रद हुआ पुरस्कार

-मामला शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार 2017 में पौड़ी जनपद का है। वर्ष 2017 में राज्य चयन समिति की ओर से जनपद व मंडल स्तर सबसे अधिक अंक पाने वाले यानी चयन सूची में पहले नंबर पर रहे शिक्षक के बजाय दूसरे नंबर वाले शिक्षक को उत्कृष्ट शिक्षक का पुरस्कार दिया गया।

शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार में शिक्षा विभाग का गोलमाल उजगार हुआ है। वर्ष 2017 में राज्य चयन समिति की ओर से जनपद व मंडल स्तर सबसे अधिक अंक पाने वाले यानी चयन सूची में पहले नंबर पर रहे शिक्षक के बजाय दूसरे नंबर वाले शिक्षक को उत्कृष्ट शिक्षक का पुरस्कार दे दिया गया। लोक सेवा अभिकरण ने शिक्षा विभाग के गोलमाल को अवैध करार देते हुए उक्त वर्ष का पुरस्कार रद के आदेश दिए हैं। साथ ही शिक्षा सचिव को आदेश दिए हैं कि वर्ष 2017 के शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार के लिए शिक्षकों का चयन दोबारा किया जाय।

मामला शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार 2017 में पौड़ी जनपद का है। राजकीय इंटर कालेज उज्याड़ी (पौड़ी जनपद) में केसर सिंह असवाल राजनीतिक विज्ञान के प्रवक्ता पद पर तैनात हैं। वर्ष 2017 के शैलेश मटियानी पुरस्कार के लिए जिला स्तरीय व मंडल स्तरीय चयन समिति ने उन्हें सर्वाधिक अंक दिए थे। मंडल से सूची फाइनल होकर राज्य स्तरीय चयन समिति को भेज दी गई। लेकिन, राज्य स्तर पर समिति ने अधिक अंक होने के बावजूद उनकी जगह दूसरे नंबर पर रहे शिक्षक को पुरस्कार दे दिया।

शिक्षा विभाग व पुरस्कार के लिए गठित राज्य स्तरीय चयन की मनमानी व नियम विरुद्ध काम करने और अपने साथ हुई नाइंसाफी के खिलाफ केसर सिंह असवाल ने नैनीताल हाईकोर्ट व लोक सेवा अभिकरण में रिट दायर की थी। अभिकरण में चार साल की लंबी सुनवाई के बाद गत 19 अगस्त को फैसला आया। अभिकरण ने केसर सिंह असवाल का पक्ष सही पाया।

लोक सेवा अभिकरण ने असवाल के दावे को सही मानकर वर्ष 2017 के शैक्षिक पुरस्कार में पौड़ी के कोटे के पुरस्कार को रद करने के आदेश दिए। शिक्षा विभाग को आदेश दिया गया है कि नए सिरे से असवाल के दावे के आधार पर चयन प्रक्रिया को पूरा करे। विवाद का समाधान होने तक पौड़ी कोटे का पुरस्कार रद रहेगा।

जब निदेशक के परिजनों को मिला था पुरस्कार

शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार के चयन को लेकर कई बार सवाल उठते रहे हैं। एक बार तत्कालीन शिक्षा निदेशक के परिजनों, साले-सालियों को शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार दिया गया था। उस वक्त इसकी खूब चर्चा हुई। लेकिन, मामला निदेशक के परिजनों का था, इसलिए कोई शिक्षक कोर्ट व अभिकरण जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।

बात सिर्फ पुरस्कार की नहीं बल्कि नाइंसाफी है। दो समितियों ने किसी व्यक्ति को पहला स्थान दिया है। तो अंत में दूसरे नंबर पर रहे व्यक्ति का चयन कैसे किया जा सकता है। अभिकरण ने न्याय किया है। अभिकरण जा यह निर्णय मील का पत्थर साबित होगा और आगे होने वाली गड़बड़ियों पर भी रोक लगाएगा।

केसर सिंह असवाल, प्रवक्ता, राजनीतिक विज्ञान
राजकीय इंटर कालेज उज्याड़ी, पौड़ी जनपद

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अभिकरण के आदेश की प्रति अभी विभाग को नहीं मिली है। आदेश में अभिकरण ने क्या कहा है, उसी आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

सीमा जौनसारी
माध्यमिक शिक्षा निदेशक, उत्तराखंड

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