नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा, बच्चों को बचाने के लिए क्या है तैयारी
-नैनीताल हाईकोर्ट प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं व चारधाम यात्रा शुरू करने के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से कई सवाल पूछे। हालांकि, प्रदेश सरकार ने 700 पेज का शपथपत्र कोर्ट में पेश किया है।
शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। सरकारी की लापरवाही से उत्तराखंड में कोरोना से मौतें हुई। सरकार की आधी-अधूरी तैयारियों के कारण लोग मारे गए। अब डेल्टा प्लस वैरिएंट का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में बच्चों को बचाने के लिए सरकार क्या कर रही है? यह सख्त टिप्पणी बुधवार को मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने की।
गौरतलब है कि कोर्ट प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं व चारधाम यात्रा शुरू करने के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। बुधवार को सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार ने 700 पेज का शपथपत्र कोर्ट में पेश किया। मुख्य सचिव ओम प्रकाश, स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी व पर्यटन सचिव डॉ आशीष चौहान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए। अदालत ने सरकार की तरफ से पेश शपथ पत्र को भ्रामक और कोर्ट को गुमराह करने वाला बताता।
कोर्ट ने कहा कि सरकार ने कोविड के नियमों का अनुपालन नहीं किया। हाल ही में गंगा दशहरा पर हजारों लोगों ने हरकी पैड़ी में स्नान किया। लेकिन, सरकार नदारद थी। यह सरकार की आधी-अधूरी व्यवस्थाओं का प्रमाण है। कोर्ट ने 7 जुलाई को विभिन्न बिंदुओं पर सरकार से जवाब-तलब किया है। शपथ पत्र के साथ मुख्य सचिव व स्वास्थ्य सचिव से मौजूद रहने को कहा है।
चारधाम यात्रा स्थगित करें या तारीख बढ़ाएं
हाई कोर्ट ने चारधाम यात्रा स्थगित करने या तिथि बढ़ाने के निर्देश भी सरकार को दिए हैं। मामले में 28 जून से पूर्व कैबिनेट की बैठक कर निर्णय लेने को कहा है। अदालत ने कहा कि 28 जून को मुख्य सचिव और अपर सचिव पर्यटन आशीष चौहान कोर्ट में उपस्थित होकर इस बाबत बताएंगे कि चारधाम यात्रा के संबंध में कैबिनेट ने क्या फैसला लिया है।
कोरोना छोड़ हृदय गति रुकने से बताई अधिकांश मौतें
कोर्ट ने कहा कि डेथ ऑडिट पूरी तरह अस्पष्ट और भ्रमित करने वाला है। इसमें अधिकांश मृत्यु हृदय गति रुकने से बताई गई हैं। दूसरी लहर में कितने लोगों की मौत मात्र कोविड-19 के कारण हुई यह नहीं बताया गया। पूरे शपथ पत्र में स्वास्थ्य सचिव ने तर्कहीन तथ्य प्रस्तुत किए हैं।
कोर्ट ने कहा कि मृत्यु के ऑडिट करते समय कोर्ट के पूर्व आदेश का उल्लंघन किया गया। सरकार ने निकायों द्वारा जारी किए गए मृत्यु प्रमाण पत्रों के सापेक्ष मृत्यु की गणना नहीं की, इसलिए सरकार द्वारा कराए गए डेथ ऑडिट की सत्यता को कोर्ट स्वीकार नहीं कर सकता।
कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को पूछा, आपको जानकारी देने से किसने रोका
हाईकोर्ट ने कहा कि देहरादून में तीसरी लहर से लड़ने को बच्चों के लिए आपके पास 10 वेंटिलेटर हैं। यदि 80 बच्चे क्रिटिकल हो गए तो 70 बच्चों को मरने के लिए छोड़ देंगे क्या? कोर्ट द्वारा शपथ पत्र में रुद्रप्रयाग में 11 वेंटीलेटर में से नौ ख़राब बताने के सवाल पर स्वास्थ्य सचिव ने कहा कोर्ट के आदेश के क्रम में सिर्फ ज़िला अस्पतालों की डिटेल दी गई है। हमारे पास मेडिकल कॉलेजों और निजी अस्पतालों में वेंटलेटर-आईसीयू के और इंतज़ाम हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि आपको जानकारी देने से किसने रोका है। जानकारी पूरी दी जानी चाहिए।