शोध यदि समाज के लिए उपयोगी नहीं तो वह उद्देश्य विहीन: प्रो वर्मा
देहरादून। दून विश्वविद्यालय के प्रबंध शास्त्र विभाग ने गुरुवार को ऑनलाइन शोध प्रविधि कार्यशाला आयोजित की। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के पूर्व आचार्य डॉ एस वर्मा ने कहा कि शोध प्रविधि की जानकारी प्रत्येक शोधार्थी को होनी आवश्यक है। सही व वैज्ञानिक शोध के माध्यम से शोध की गुणवत्ता व समाज में उसकी
उपयोगिता सिद्ध हो पाएगी। शोध का उद्देश्य यदि समाज के लिए उपयोगी नहीं है तो ऐसा शोध उद्देश्य विहीन कहलायेगा। प्रो वर्मा ने कहा कि शोध विषय वस्तु का चयन भी वैज्ञानिक पद्धति के साथ किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर कुमाऊं विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व आईआईटी रुड़की के आचार्य प्रो डीके नौरियाल ने कहा कि देश व समाज कोरोना वायरस की चुनौतियों से जूझ रहा है। दुनिया के कई देश आर्थिक विकास के आंकड़ों में पिछड़ रहे हैं। व्यवसायिक गतिविधियां प्रभावित हो रही है, ऐसे में सटीक व अर्थव्यवस्था को गति देने वाले शोध की आवश्यकता है। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के आचार्य डॉ आरसी डंगवाल ने कहा कि वाणिज्यिक जगत में शोध कार्यों का संचालन चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि व्यावसायिक गतिविधियां अनवरत परिवर्तित होती रहती हैं, इसलिए शोध कार्य योजना वैज्ञानिक एवं तर्कसंगत होनी चाहिए। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रबंध शास्त्र के अध्यक्ष प्रो वीके सिंह ने प्रबंध विज्ञान में शोध विषय चयन व शोध संचालन के विभिन्न चरणों पर प्रकाश डाला। स्वामी राम विश्वविद्यालय जौलीग्रांट देहरादून के सलाहकार प्रो आलोक सकलानी ने प्रबंध शास्त्र व कारपोरेट जगत को प्रभावित करने वाली विभिन्न शोध सामग्रियों और संभावित विषयवस्तु के चयन व शोध की गुणवत्ता पर चर्चा की। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एके कर्नाटक ने कहा कि गुणवत्तापरक शोध से ही समाज में कारगर परिवर्तन किये जा सकते हैं। शोध मौलिक विषयवस्तु पर केंद्रित होना चाहिए, जिससे जनोपयोगी सुझाव स्पष्ट हो सकें। उन्होंने इस दिशा में दून विश्वविद्यालय के प्रबंध शास्त्र विभाग के प्रयासों की सराहना की। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो एचसी पुरोहित ने अतिथियों का स्वागत किया। धन्यवाद डॉ सुधांशु जोशी व कार्यक्रम का संचालन डॉ रीना सिंह ने किया।