Sun. Nov 24th, 2024

युवा कवि विनय अंथवाल का एक गीत… वसुधा ही है कुटुम्ब मेरा

विनय अन्थवाल
देहरादून, उत्तराखंड 

————————————————————————–

विनय गीत

वसुधा ही है कुटुम्ब मेरा
फिर क्यों मैं किसी से बैर करुँ।

जग में रहूँ नीरज बनकर
सद्ज्ञान से जीवन विमल करुँ।

आदर्श बने जीवन सबका
हर रोज यही मैं आश करुँ।

हर मनुज में ज्ञान का दीप जले
व्यवहार में भी सद् भाव रहे।

मानवता की पहचान यही
हर मन में केवल प्रेम रहे।

हम सुमन हैं एक ही उपवन के
न इनमें कोई मैं भेद करुँ।

सबकी राह प्रसूनों की हो
यही केवल मैं विनय करुँ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *