वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” का होली पर एक छंद… रुत मनभावन सी, परब सी पावन सी
वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ”
देहरादून, उत्तराखंड
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रुत मनभावन सी, परब सी पावन सी
महक महक रही, जीवन रंगोली है।
पुलकित तन मन, अवनी ओढ़े वसन
खग देखो गा रहे हैं, मीठी मीठी बोली है।।
प्रीत जो धरोहर है, कितनी मनोहर है
मोहन ने राधिका के, नयनों में तोली है।
चित राग अनुराग, में कि सराबोर हुआ
मल दो गुलाल मोहे, आई सखा होली है।।
प्रकाशित 28/3/2021
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