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राइटर्स एंड जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन इंडिया (WAJA), तेलंगाना इकाई की ऑनलाइन गोष्ठी में हुई परिचर्चा

-मंचेरियाल तेलंगाना के जाने-माने कथाकार, अनुवादक व वाजा इकाई के अध्यक्ष एनआर श्याम की अध्यक्षता में हुई ऑनलाइन गोष्ठी

शब्द रथ न्यूज। राइटर्स एंड जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ‘वाजा’ तेलंगाना इकाई की ‘कोरोना काल में लेखन व पत्रकारिता’ पर ऑनलाइन परिचर्चा हुई। सरिता सुराणा ने संचालन करते हुए कहा कि कोरोना वायरस ने हमें सफ़ाई ही नहीं सिखलाई, बल्कि हर एक की जीवन शैली ही बदल डाली।
मंचेरियाल तेलंगाना के जाने-माने कथाकार, अनुवादक व वाजा इकाई के अध्यक्ष एनआर श्याम की अध्यक्षता में कार्यक्रम चला शुरू हुआ। जिसका संचालन इकाई के महिला विभाग की संयुक्त सचिव सरिता सुराणा ने किया। वर्चुअल मंच पर अतिथि वक्ता भूतपूर्व आइएएस अधिकारी राघवेन्द्र विक्रम सिंह व वक्ता वाजा की परामर्शदाता डॉ अहिल्या मिश्र व वाजा के राष्ट्रीय महासचिव शिवेन्द्र प्रकाश द्विवेदी रहे।कार्यक्रम का शुभारंभ इकाई की महिला विभाग की महासचिव डॉ बी श्रीलक्ष्मी व कोषाध्यक्ष जयश्री की सरस्वती वंदना से हुआ।
शिवेन्द्र प्रकाश द्विवेदी ने अतिथि वक्ता राघवेन्द्र का संक्षिप्त परिचय दिया। द्विवेदी ने कहा कि कोरोना काल में वायरस का प्रभाव ग्रामों में नहीं शहरों में अधिक देखा गया है। इस काल में उन्होंने काफ़ी लेखन कार्य किया है। उन्होंने अनुवादकों द्वारा विभिन्न भाषाओं में किये गए साहित्यिक आदान-प्रदान की प्रशंसा की।
मुख्य वक्ता के रूप में शिवेन्द्र द्विवेदी ने कहा कि कोरोना काल में हर कोई इतना अकेला पड़ गया था कि वह केवल लेखकों एवं पत्रकारों की सूचनाओं पर ही निर्भर था। उन्होंने वाजा के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह लेखकों व पत्रकारों का साझा मंच है। यह भारत में एक ऐसा पहला मंच है जो साहित्य से पत्रकारिता से खोई हुई अस्मिता को लौटा लाने के लिए स्थापित हुआ है।
वाजा तेलंगाना के महासचिव देवा प्रसाद मयला ने मुख्य वक्ता डॉ अहिल्या मिश्र व शिवेन्द्र प्रकाश द्विवेदी का संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि अहिल्या जी हिन्दी साहित्य के प्रचार- प्रसार में उत्तर भारत व दक्षिण भारत का प्रबल सेतु बनी हैं। वहीं, शिवेन्द्र जी लेखकों व पत्रकारों के बीच सुदृढ़ सेतु हैं। अहिल्या जी गत 26 वर्षों से कादम्बिनी क्लब हैदराबाद की मासिक साहित्यिक गोष्ठियों द्वारा लेखकों को प्रोत्साहित करती आ रही हैं। ऑथर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया की संयोजिका के रूप में भी वे स्थानीय साहित्यकारों को देश के अन्य साहित्यकारों से जोड़ती हैं। वहीं, शिवेन्द्र जी देश के विभिन्न प्रांतों में वाजा इंडिया की इकाइयाँ स्थापित करते हुए शुद्ध पत्रकारिता की ओर ले जा रहे हैं। देवा प्रसाद मयला ने कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी सदस्यों का भी संक्षिप्त परिचय दिया। डॉ अहिल्या मिश्र ने अपने वक्तव्य में तेलुगु के प्रमुख अनुवादकों का नाम लेकर उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में लेखकों व पत्रकारों ने वायरस से जूझने व स्थिति को सँभालने में विशेष योगदान दिया है। उन्होंने इस काल के सकारात्मक व नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त में प्रकाश डाला है।
साक्षी हिन्दी वेब पत्रिका के पत्रकार व वाजा इकाई के संगठन सचिव के. राजन्ना ने कोरोनाकाल की स्थिति की गंभीरता के बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि न केवल पुलिस, अस्पताल के कर्मचारियों और सफ़ाई कर्मचारियों ने जान जोखिम में डालकर अपना दायित्व निभाया, बल्कि पत्रकारों ने फ़ील्ड में जाकर, अपनी जान जोखिम में डालकर वायरस-प्रभावित लोगों की स्थिति को दुनिया के सामने रखा। इसके चलते कुछ पत्रकार भी कोरोनाग्रस्त होकर अपनी जान गँवा बैठे।
थल सेना के सेवानिवृत्त लेफ्टनेंट कर्नल दीपक दीक्षित ने कोरोना काल में लोगों के जीवन में आए बदलावों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अब मास्क जीवन का अभिन्न अंग बन गया है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में एनआर श्याम ने कहा कि वाजा तेलंगाना ने पूर्व में अच्छे कार्यक्रम किये हैं। संस्था द्वारा ज्वलंत विषयों पर कार्यक्रम होते रहने चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में समाज में उथल-पुथल मचा था। व्यवस्था द्वारा इसके लिए उठाये गये अच्छे कार्यों के साथ उसके ख़ामियों को भी लेखकों द्वारा रिकार्ड करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी साथियों को बधाई दी।
इकाई की महिला विभाग की अध्यक्षा डॉ शकुंतला रेड्डी, उपाध्यक्षा डॉ सुमनलता, तेलंगाना इकाई के उपाध्यक्ष बी. मुरलीधर के अलावा डॉ. टीसी वसंता, डॉ सुरेश, नागुला श्वेता, चि. लिंगम, हेमा कृपलानी, आँध्र प्रदेश वाजा की महासचिव निर्मला देवी, रेखा व अन्य श्रोताओं ने कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज कराई। अंत में देवा प्रसाद मयला ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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