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‘करके पतझड़ का अंत लो आ पहुंचा नवल वसंत’.. फागुन, होली, श्रृंगार के रंगों से सराबोर रही वाजा इंडिया की काव्य गोष्ठी

-राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसियेशन (वाजा इंडिया) की उत्तराखंड इकाई ने आयोजित की काव्य गोष्ठी।

शब्द रथ न्यूज (shabd rath news)। राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसियेशन (वाजा इंडिया) की उत्तराखंड इकाई (writers and journalist association Uttrakhand) ने रविवार को डेरा वाल भवन तिलक रोड में काव्य गोष्ठी (Kavya goshthi) आयोजित की। काव्य गोष्ठी फागुन, वसंत, होली और श्रृंगार के रंगों से सराबोर रही। उल्लास और उमंग की रचनाओं ने गोष्ठी में उत्सव का माहौल बना दिया।


काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए जीके पिपिल (GK pipil) ने शानदार रचनाओं का पाठ किया। उन्होंने पढ़ा कि ‘दिल के जख्म हरे हो बैठे यादों की पुरवाई से, अब दिन में भी डर लगता है खुद अपनी परछाई से’। मुख्य अतिथि वाजाल की प्रदेश अध्यक्ष डॉ बसंती मठपाल (Dr basanti mathpal) ने ‘करके पतझड़ का अंत लो आ पहुंचा नवल वसंत’ सुनाकर वसंत के उल्लास से पूरी गोष्ठी को महका दिया।

कवि/पत्रकार अशोक मिश्र ने ‘हो सके तो झोपड़ी की ही जुबानी लिख, रोटियों पे फिर कोई नई कहानी लिख’ सुनाकर वाहवाही लूटी।

कवि वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” (Virendra Dangwal Parth) ने वसंत पर छंद पढ़ा ‘धरती धवल हुई उमंगें नवल हुई,
उम्मीदें प्रबल हुई आया रे वसंत है’। होली पर गीत पढ़ते हुए पार्थ ने कहा कि ‘फागुन ने छेड़ी तान घुघती गाए मीठे गान खिला है फ्युंली और बुरांश प्रकृति में नवयौवन की आस होली आई रे… वहीं, श्रृंगार पर ग़ज़ल पढ़ते हुए उन्होंने कुछ इस तरह भाव व्यक्त किए ‘तेरी यादों का समंदर विशाल होता है, घेर लेता है तम.. तब मशाल होता है’।

निकी पुष्कर (Niki pushksr) ने होली पर बहुत ही सुन्दर गीत पढ़ा ‘अब की होरी आओ सांवरिया’, वहीं, ग़ज़ल पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि ‘किस किस तरह निबाह किए जिंदगी के साथ, कितने किए हैं दर्द दफन एक हंसी के साथ’। दूसरी, तरफ कोरोना महामारी के दौर पर भी उन्होंने रचना पढ़ी ‘बुरे दिनों में झूठ कतई छिपाया नहीं जाता’।

इससे पूर्व कविता बिष्ट (Kavita Bisht) ने सरस्वती वंदना के साथ गोष्ठी का शुभारंभ किया। उन्होंने कई छंद सुनाकर तालियां बटोरी। उन्होंने पढ़ा ‘सदकाम करो सम्मान करो दुनियाभर में गुणगान करो, अपनों के लिए सदा भान करो, दुखियों का सदा ध्यान धरो।

कवि रविन्द्र सेठ रवि (Ravindra Seth Ravi) ने हास्य व्यंग्य की रचना पढ़ी ‘दुश्मनों को न घर में पलते रहिए, एक दूजे पर न कीचड़ उछालते रहिए’।राजेश अज्ञान (Rajesh agyan) ने ‘जाने क्यूं इतनी दरारें आ रही हैं, क्या क्या संदेश देने जा रही हैं’ सुनाकर तालियां बटोरी।

जबकि, नरेन्द्र उनियाल ननु (Narendra uniyal Nanu) ने लघु कथाओं का पाठ किया। इस अवसर एसपी दुबे (sp dube) मौजूद रहे। गोष्ठी की अध्यक्षता राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसियेशन (वाजा इंडिया) की उत्तराखंड इकाई के प्रदेश उपाध्यक्ष जीके पिपिल और संचालन प्रदेश महामंत्री वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” ने किया।

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