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इण्टर कॉलेज बुरांसखंडा में योग कार्यक्रम: आशा और उम्मीद को कभी नहीं खोना चाहिए

-अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर इण्टर कॉलेज बुरांसखंडा में में योग कार्यक्रम विद्यालय स्टॉफ के साथ लगभग 150 बच्चों ने लिया भाग

संकलन- कमलेश्वर प्रसाद भट्ट
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर उत्तराखंड देहरादून के रायपुर ब्लॉक के दुर्गम क्षेत्र स्थित राजकीय इण्टर कॉलेज बुरांसखंडा परिसर में योग शिविर के माध्यम से स्वयं एवं मानव जीवन को उबारने का संकल्प लिया गया। प्रधानाचार्य दीपक नेगी के नेतृत्व में विद्यालय के शिक्षकों एवं स्टॉफ के सहयोग से विद्यार्थियों ने योगाभ्यास के द्वारा योग को जीवन रेखा से जोड़कर आगे बढ़ाने की अपील की।

नेगी ने कहा कि गत वर्ष के कोरोनाकाल के समय लॉक-डाउन की वजह से हमारी अर्थव्यवस्था ही नहीं बल्कि हमारे स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है, ऐसे समय में अगर हम अपने स्वास्थ्य की देखभाल स्वयं करें तो हम शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होंगे। उन्होंने कहा कि हमारा अधिकांश पैसा जो अनावश्यक रूप से दवाओं के रूप में खर्च हो जाता है, उसे बचाकर हम इकाई के रूप में आर्थिक विकास में मददगार साबित हो सकते हैं।

वास्तव में कोरोनाकाल का समय सीनियर सिटीजन व बच्चों के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं रहा, इसमें कोई शक नहीं कि बच्चों के चेहरे की मुस्कान और उनके साथ बतियाना बुजुर्गों के लिए किसी थैरेपी से कम नहीं है। देखने में आ रहा है कि आज इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की चकाचौंध में बच्चे एकाकी होते जा रहे हैं, जिसका सीधा असर उनके मस्तिष्क पर तो पड़ ही रहा है, साथ ही घर के बड़े -बुजुर्गों को भी बतियाने के लिए एक-दूसरे की ओर ताकते हुए देखा जा सकता है। ऐसी स्थिति में योग-साधना संजीवनी साबित होगी।

वास्तविकता यह भी है कि समय के साथ सब कुछ बदलता रहता है। यह भी सत्य है कि उनमें से कुछ बदलाव हमारे लिए लाभदायक होते हैं। जबकि, कुछ नुकसानदायक भी। हमारा जीवन एक प्रकार का योग ही है, हमें अनुलोम-विलोम की भांति बुरे विचार बाहर निकालकर अच्छे विचार भीतर करने चाहिए। देखा जाय तो दोनों हाथ जोडकर नमस्ते के बजाय एक-दूसरे से हाथ मिलाकर अभिवादन करना शान समझने लगे थे, किन्तु कोरोना-कॉल ने हमें अपनी पुरातन संस्कृति की यादें पुनः ताज़ी करवा दी।

अगर वैज्ञानिक दृष्टि से भी देखें तो ‘नमस्ते’ मुद्रा में हमारी अंगुलियों के शिरा बिंदुओं का मिलान होता है। यहां पर आंख, कान और मस्तिष्क के प्रेशर प्वॉइंट्स भी होते हैं। दोनों हाथ जोड़ने के क्रम में इन बिंदुओं पर दबाव पड़ता है। जिससे संवेदी चक्र प्रभावित होते हैं। यही वजह है कि हम उस व्यक्ति को अधिक समय तक याद रख पाते हैं। इतना ही नहीं, नमस्ते से उनके साथ किसी तरह का शारीरिक संपर्क न होने से कीटाणुओं के संक्रमण का खतरा भी नहीं रहता। दूसरी ओर ऐसा करने से हमारे मन में उस व्यक्ति के प्रति तो अच्छे भाव आते ही हैं। साथ ही उसके मन में भी हमारे लिए आदर उत्पन्न होता है।

इस अवसर पर बच्चों विशेषकर देव जवाड़ी, रिया नेगी, मानसी, सान्वी आदि ने उत्सुकता से योग व आसन की विभिन्न क्रियाओं की अगुवाई की। योग शिविर में प्रधानाचार्य दीपक नेगी, प्रवक्ता एनवी पन्त, केके राणा, आरके चौहान, केपी भट्ट, भास्कर रावत, प्रियंका घनस्याला, नेहा बिष्ट, जेपी नौटियाल, जीबी सिंह, मनीषा शर्मा, संगीता जायसवाल, सुमन हटवाल, जय सिंह, प्रवीन व राकेश आदि ने बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए राष्ट्रीय महत्व के शासकीय कार्यक्रम में भागीदारी की।

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