असीम ख़ुशी होगी जब पूरा देश अपनाएगा हिंदी
हमें गर्व है कि हम हिन्दुस्तानी हैं। हम सब मिलकर राष्ट्रीय गान, राष्ट्रीय गीत गाकर गर्व तो महसूस करते हैं, लेकिन अमल नहीं करते। अंग्रेजी भाषा हमारी मात्र भाषा पर हावी हो चुकी है। हिंदी भाषा सिर्फ एक राजभाषा बनकर ही रह गई है।
देशभर में 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी भाषा की दशा-दिशा पर चर्चा की जाती है। परंतु इसकी सार्थकता को समझने के लिए हमें अपने आप से यह प्रश्न करना चाहिए कि हम बोल-चाल में हिंदी का उपयोग कितना प्रतिशत करते हैं? यह कैसी विडम्बना है! आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी हम अंग्रेजी भाषा से मुक्त नहीं हो पाए हैं। 14 सितम्बर 1949 को संविधान में प्रस्ताव पारित किया गया था कि 15 वर्षों के पश्चात् 1965 में हिंदी राजभाषा का दर्ज प्राप्त कर लेगी। परंतु आज तक इस विषय में अधिक गंभीरता नहीं दिखाई दे रही है। आज कई क्षेत्रों में हिंदी अपनी पीडा महसूस कर रही है। कार्यालय के काम-काज, पंजीकरण पत्र या न्यायालय हो, सभी जगहों में अंग्रेजी भाषा का प्रभुत्व है। उच्च शिक्षा में हिंदी की स्थिति और भी दयनीय है। शैक्षिक पाठ्यक्रम का अंग्रेजी में होना तथा अभिवावक का अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की ओर रुझान मुख्य कारक हैं। अंग्रेजी स्कूलों में तो हिंदी भाषा को अस्पृश्यता कि तरह मानने लगे हैं। पाठ्यक्रमों में हिंदी केवल वैकल्पिक विषय ही रह गई है। अंग्रेज़ी भाषा ने हमारी संस्कृति, मूल्यों और रिश्ते-नातों को भी प्रभावित किया है जिस कारण समाज हिंदी भाषा की संस्कृति से विमुख हो रहा है।
हिंदी भाषा हमारी संस्कृति, धरोहर, पहचान और एकता का प्रतीक है और अपनी भाषा का मान-सम्मान करना हमारा पहला कर्त्तव्य है। हिंदी हमारी समृद्ध भाषा है, लेकिन फिर यह क्यों उपेक्षित है? राष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रतिष्ठित क्यों नहीं हो पा रही है? मुझे बहुत ख़ुशी होगी जब पूरा देश हिंदी भाषा को ही अपनाएगा और हाँ मैं हिंदी हूँ सभी गर्व महसूस करंगे..
भारत देश की शान
राष्ट्र का अभिमान
सब करते गुणगान
हाँ हिंदी हूँ मैं…….
संस्कृत से जन्मी
तत्सम रूप लिये
सरल-सुगम-सुबोध
हाँ हिंदी हूँ मैं…….
अनेक भषाओं को समेटे
कुशलता से लपेटे
जुबां पर घुले मिश्री सी
हाँ हिंदी हूँ मैं…….
ऋषि-मुनियों का ज्ञान
लेखकों का अभिमान
हर दिल में राज करती
हाँ हिंदी हूँ मैं…….
राष्ट्रभाषा, हर दिल
की अभिलाषा
अपनी अलग पहचान
हाँ हिंदी हूँ मैं……..
अंतरराष्ट्रीय पटल में भी
अपना प्रभुत्व जमाती
मृदुभाषी कहलाती
ऐसी मधुरता लिये
हाँ हिंदी हूँ मैं……
पूरब से पश्चिम तक
उत्तर से दक्षिण तक
एक सूत्र में बांधती
हाँ हिंदी हूँ मैं……
जय हिन्द…जय हिन्दी
~कविता बिष्ट