आपको बुखार व गले में खराश है तो पढ़ें एम्स के अहम सुझाव
-बुखार व गले की खराश को हल्के में न लें, हो सकता है घातक। डाक्टरों की सलाह कराएं कोविड की जांच
शब्द रथ न्यूज (ब्यूरो)। आपको यदि बुखार व गले में खराश की शिकायत है तो सतर्क रहें। इस तरह के लक्षणों को वायरल फीवर समझकर इसे हल्के में लेना घातक हो सकता है। वजह यह है कि यह कोरोना संक्रमण के प्रमुख लक्षणों में शामिल है। ऐसे में आपको तत्काल बिना विलंब किए कोविड जांच कराने की जरूरत है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने 20 से 50 वर्ष आयुवर्ग के लोगों को खासतौर से यह सुझाव दिया है कि इन हालातों में वह ’वर्क फ्राॅम होम’ नीति को अपनाएं और सुरक्षित रहें।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में कुछ लक्षण विशेषरूप से उभर कर आ रहे हैं। इस बाबत एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो रवि कांत ने बताया कि मरीज को स्वाद व गन्ध का पता नहीं चलने के अलावा बुखार, गले में खराश व दर्द होना भी कोविड के प्रमुख लक्षण हैं। उन्होंने बताया कि इस बार युवा वर्ग पर कोरोना का असर ज्यादा देखने को मिल रहा है। लिहाजा इससे बचने के लिए 20 से 50 वर्ष की उम्र के लोगों को खासतौर से सतर्क रहने की आवश्यकता है। सामुदायिक स्तर पर संक्रमण की दर कम करने के लिए जरूरी है कि लोग घरों में ही रहें और बिना किसी ठोस वजह के घर से बाहर हरगिज नहीं निकलें।
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो रवि कांत ने बताया कि संक्रमण से बचाव के लिए कोविड वैक्सीन विशेष लाभकारी है। ऐसे में 45 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोग जल्द से जल्द व अनिवार्य रूप से कोविड वैक्सीन लगवाएं। उनका सुझाव है कि समय रहते वैक्सीन लग जाने से शरीर में वायरस का असर कम होगा और लोग सुरक्षित रहेंगे।
एम्स में कोविड स्क्रीनिंग ओपीडी के प्रभारी व सीएफएम विभाग के असिस्टेंट प्रो (डॉ) योगेश बहुरूपी का कहना है कि कोविड परीक्षण के लिए एम्स ऋषिकेश पहुंचने वाले लोगों में बुखार और गले में खराश की शिकायत के मामले प्रमुखता से आ रहे हैं। इसके अलावा लोग यह भी शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें स्वाद और गन्ध का पता नहीं चल रहा है। उन्होंने बताया कि मौसम बदलने के कारण कुछ लोग बुखार-खांसी को सामान्यरूप से ले रहे हैं। लेकिन, कोविडकाल में ऐसा करना बिल्कुल सही नहीं है। लिहाजा ऐसे में इस तरह के मामलों को सामान्य रोग के लक्षण मानकर कोविड जांच न कराना घातक हो सकता है।
उन्होंने बताया कि इस प्रकार के कोई भी लक्षण होने पर मरीज को तत्काल कोविड जांच करानी चाहिए। उनके अनुसार अप्रैल में एम्स की कोविड स्क्रीनिंग ओपीडी में 5,287 लोगों ने जांच के लिए कोविड सैंपल दिए थे। जिनमें अधिकांश लोग 20 से 50 आयुवर्ग के ही थे।
उन्होंने बताया कि कोविड के लक्षणों में इनके अलावा सांस लेने में तकलीफ, बुखार व खांसी के लक्षण वाले रोगी भी बड़ी संख्या में एम्स पहुंच रहे हैं। डॉ योगेश बहुरूपी ने बताया कि 20 से 50 वर्ष की उम्र के ज्यादातर लोग नौकरी पेशा वाले हैं। जिन्हें आजीविका और रोजगार के लिए दैनिकरूप से घर से बाहर निकलना पड़ता है। उन्होंने सलाह दी है कि ऐसी स्थिति में बहुत जरूरी नहीं हो तो घर से बाहर नहीं निकला जाए।
कोरोना की दूसरी लहर का समय बेहद जोखिमभरा
20 से 50 आयुवर्ग के लोगों को नौकरी के लिए रोज घर से बाहर निकलना पड़ता है। लिहाजा इस उम्र के लोगों में संक्रमण की ज्यादा शिकायत मिल रही है। इस मामले में एम्स ने सुझाव दिया है कि संक्रमण से बचाव के लिए इस उम्र के लोगों को ’वर्क फ्राॅम होम’ की नीति पर काम करने की जरूरत है। सीएफएम विभाग के डाॅ योगेश बहुरूपी ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर का यह समय बेहद जोखिमभरा समय है। युवा वर्ग को उनकी सलाह दी कि बिना किसी ठोस वजह से घर से बाहर न निकलें। जीवन को सुरक्षित रखने के लिए बहुत जरूरी है कि सब लोग घर में रहें और सुरक्षित रहें।