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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022: भाजपा विधायकों के भितरघात के आरोपों से पार्टी में हड़कंप

उत्तराखंड में मतदान के बाद से भाजपा की परेशानियां खत्म नहीं हो रही हैं। गुरुवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के विधानसभा चुनाव ने पार्टी की संभावित हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की लालसा के चलते उत्तराखंड में पार्टी के डूबने संबंधी फर्जी ट्वीट वायरल हुआ था। इससे पार्टी में हडकंप मच गया था। भाजपा के सोशल मीडिया प्रभारी शेखर वर्मा ने इस मामले में को लेकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बाकायदा पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।

शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (Shabd Rath News)। उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के खुलेआम भितरघात के आरोप लगाने से पार्टी में खलबली मची हुई है। 14 फरवरी को मतदान के बाद तीन विधायक और एक प्रत्याशी ने अपनी पार्टी के नेताओं पर उन्हें हराने की साजिश करने का आरोप लगाया है। इससे भाजपा की खूब किरकिरी हो रही है।

आरोप की शुरूआत हरिद्वार के लक्सर से विधायक संजय गुप्ता ने की। गुप्ता ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर उन्हें चुनाव हराने की साजिश करने का आरोप लगाया। एक वायरल वीडियो में गुप्ता ने खुद को भाजपा का वफादार सिपाही बताते हुए कहा कि कौशिक के नामित सभासदों/नजदीकी कार्यकर्ताओं ने बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी मोहम्मद शहजाद के पक्ष में काम किया और उन्हें हराने की साजिश की।

कौशिक को गद्दार बताते हुए विधायक ने पार्टी नेतृत्व से उन्हें पार्टी से निकालने का आग्रह किया। गुप्ता ने कहा कि मैं नेतृत्व से निवेदन करता हूं कि ऐसे प्रदेश अध्यक्ष को राष्ट्रवादी पार्टी में रहने का कोई अधिकार नहीं है। वह गद्दार आदमी है, उसे तत्काल पार्टी से निकाला जाना चाहिए, तभी हमारे जैसे कार्यकर्ता पार्टी में सुरक्षित रह सकेंगे।

उधमसिंहनगर जनपद के काशीपुर से भाजपा प्रत्याशी त्रिलोक सिंह चीमा के विधायक पिता हरभरजन सिंह चीमा ने भी पार्टी कार्यकर्ताओं पर भितरघात का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है। चंपावत से पार्टी विधायक कैलाश चंद्र गहतोडी और देहरादून जनपद की कैंट सीट से भाजपा प्रत्याशी सविता कपूर ने भी पार्टी कार्यकर्ताओं पर भितरघात के आरोप लगाए हैं।

भाजपा के सूत्रों ने बताया कि पार्टी नेताओं को इस संबंध में सख्त हिदायत दी गयी है। कहा गया है कि अपनी शिकायतें लेकर सार्वजनिक मंचों पर न जाएं, उन्हें पार्टी फोरम पर ही रखें।

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