जीके पिपिल का एक गीत …मैं पतझर हूं और सेहरा हूं …
जीके पिपिल देहरादून। गीत मैं क़तरा हूं और तन्हा हूं अपनी जलधार में ले लो…
जीके पिपिल देहरादून। गीत मैं क़तरा हूं और तन्हा हूं अपनी जलधार में ले लो…
जीके पिपिल देहरादून गज़ल अपने हुनर से आज कुछ ऐसा क़माल कर तेरे पास दीए…
जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड गज़ल सहर भी कब की हो गई आंखों में रात रह…
तारा पाठक, उत्तराखंड माँ तेरा आँचल मैं छोटी सी लतिका इतराती_बलखाती बढ़ती। तूफ़ानों की खिल्ली…
निस्वार्थ भाव से हिंदी की सेवा में तल्लीन रहने वाले और सेवा सेतु राष्ट्रीय न्यास…
कुछ और ठहर अभी रुखसत ना हो रुसवा हमारी अधूरी मोहब्बत ना हो तेरे होने…
देहरादून। हिंदी और गढ़वाली की समृद्ध रचनाकार प्रेमलता सजवाण लिखित/संपादित कहानी संग्रह नन्हें कलमकार का…
तारा पाठक हल्द्वानी, उत्तराखंड किसान का बेटा कक्षा में सभी बच्चों के पिताजी नौकरी करते…
देश के विभिन्न प्रदेशों सहित 40 से अधिक देशों के साहित्य, संस्कृति और कला के…
तारा पाठक फटे-चीकट कपड़ों में छ: साल का एक बालक झोपड़ी के द्वार पर खड़ा…