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हिमाचल से चंदेल साहिब की एक रचना

चंदेल साहिब

देवभूमि हिमाचल
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गुरु ज्ञान का दीपक
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एक तरफ हैं गुरु महान,
शिष्य करता प्रतिपल सम्मान।

गुरु ज्ञान का है भंडार,
शिष्य को देता नव सँस्कार।

शिष्य है कच्ची मिट्टी के समान,
गुरु ही उसको है देता पहचान।

स्वयं दिए सा गुरु है जलता,
शिष्य का जीवन रोशन करता।

गुरु का योगदान है बहुत बड़ा ,
शिष्य को नित मार्गदर्शन मिला।

गुरु प्रेम का बीजारोपण करता,
नवसंचार शिष्य के जीवन में भरता।

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