चिराग पासवान ने चाचा पारस ने नाम किया ट्वीट, जानिए चिराग ने क्या कहा
शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। लोक जन शक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद चिराग पासवान ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई। बैठक से पहले चिराग ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के नाम बेहद भावुक ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि पापा की मौत के बाद आपके व्यवहार से टूट गया। मैं पार्टी और परिवार को साथ रखने में असफल रहा। चिराग ने एक पुराना पत्र भी ट्विटर पर शेयर किया है।
चिराग पासवान ने ट्वीट में लिखा- ”पापा की बनाई पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए किए मैंने प्रयास किया। लेकिन, असफल रहा। पार्टी मां के समान है, मां के साथ धोखा नहीं करना चाहिए। लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है। पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद देता हूं। एक पुराना पत्र साझा करता हूं.”
महबूब अली कैसर कहा, चिराग में अनुभव की कमी, इसलिए पारस के साथ
एलजेपी में हुए परिवर्तन को लेकर सांसद चौधरी महबूब अली कैसर ने कहा कि बिहार चुनाव में चिराग ने बड़ी गलती की। एनडीए में रहते हुए जेडीयू के विरोध में काम किया। इसी कारण नेतृत्व परिवर्तन का निर्णय लिया। चिराग में अनुभव की कमी है इसलिए हमने पशुपतिनाथ पारस का समर्थन किया।
कैसर ने कहा कि चिराग ने बिहार की राजनीति का नब्ज नहीं पकड़ा। बड़ी भूल की, जिसका खामियाजा उन्हें और पार्टी को भुगतना पड़ा। चिराग को शुभकामनाएं हैं। इस परिस्थिति से निपट कर वे आगे बढ़ेंगे और बड़े नेता बनेंगे। ललन सिंह के मसले पर उन्होंने कहा कि ललन सिंह के कहने पर पार्टी में टूट नहीं हुई है। हमारी मुलाकात ललन सिंह से वीणा सिंह के घर पर हुई थी। हम चाहते हैं चिराग पासवान हमारे साथ रहें।
सांसदों की भी सलाह नहीं लेते थे चिराग
चिराग पासवान के खिलाफ पार्टी में इतनी बड़ी बगावत के पीछे कारण ये बताया जा रहा है कि वे पिता रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद से सारे फैसले खुद ही लेने लग गए थे।वे किसी भी सांसद या पार्टी के पदाधिकारी से कोई राय नहीं लेते थे। बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद चिराग पासवान ने एलजेपी के कई नेताओं से दूरी बना ली थी। इतना ही नहीं सांसदों से भी न के बराबर मिल रहे थे।
चिराग हर फैसला करते थे सौरव पांडेय की सलाह पर
पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि चिराग पासवान हर फैसला राजनीतिक सलाहकार सौरव पांडेय की सलाह पर लेते थे। पार्टी सूत्रों की मानें तो सौरव की सलाह पर ही एलजेपी ने बिहार में एनडीए से बाहर जाकर चुनाव लड़ा, जिसके नतीजे सबके सामने हैं। सूत्रों का कहना है कि पार्टी में किस को क्या जिम्मेदारी दी जाएगी और कौन सा नेता किस सीट से चुनाव लड़ेगा ये भी सौरव पांडेय तय करते थे। चिराग सिर्फ उन फैसलों पर मुहर लगाते थे।