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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के खिलाफ दिए हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची उत्तराखंड सरकार

-नैनीताल हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआई को भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज कर जांच करने के आदेश दिए, भाजपा ने कोर्ट के फैसले को बताया गलत

देहरादून (dehradun): मुख्यमंत्री (cm) त्रिवेंद्र सिंह रावत (trivendra Singh Rawat) के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट (nainital high court) के दिए गए फैसले के बाद उत्तराखंड में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस सहित अन्य दल मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। वहीं, नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता (bjp spoken) मुन्ना सिंह चौहान (munna Singh Chauhan) ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि याचिकाकर्ता हरेंद्र सिंह रावत की ओर से उमेश शर्मा के खिलाफ दी गयी तहरीर के आधार पर केस किया गया है। मामले में साक्ष्य इकट्ठे किए जाने थे। लेकिन, हाईकोर्ट ने एफआईआर को निरस्त कर दिया। यह फैसला कानूनन गलत है। भाजपा फैसले से संतुष्ट नहीं है। हम अदालत की आलोचना नहीं कर रहे हैं, हम फैसले की आलोचना करते हैं। चौहान ने हाईकोर्ट के फैसले को कानून की गलती करार दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ विशेष जनह‍ित याच‍िका (एसएलपी) दायर कर दी है।

उमेश शर्मा पर 2 दर्जन मुकदमें

चौहान ने कहा कि उमेश शर्मा (Umesh Sharma) पर 5 राज्यों में करीब 2 दर्जन मुकदमें दर्ज हैं। विभिन्न तरह के मामलों में वह आरोपी हैं। चौहान ने कहा कि औचित्यहीन शिकायतों के आधार पर जांच का कोई औचित्य नहीं बनता है। मुख्यमंत्री को इस पूरे मामले पर कोर्ट ने पार्टी नहीं बनाया, उन्हें कोई नोटिस जारी नहीं हुआ, कभी सुना नहीं गया, बावजूद इसके ऐसा जजमेंट दिया गया है। यह जजमेंट तथ्यों से परे है। मुख्यमंत्री के खिलाफ किसी तरह का कोई केस ही नहीं बनता।

नैनीताल हाईकोर्ट ने दिए थे सीबीआई जांच के आदेश

नैनीताल हाईकोर्ट ने सोमवार को सीबीआई को आदेश दिया था कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज कर आरोपों की जांच की जाय। हाईकोर्ट ने यह आदेश पत्रकार उमेश शर्मा के खिलाफ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की छवि बिगाड़ने के मामले में दर्ज मुकदमें में दिया। कोर्ट ने शर्मा के खिलाफ दायर मुकदमा की रद करने के आदेश दिए।

क्या है मामला

देहरादून निवासी प्रो. हरेंद्र सिंह रावत ने 31 जुलाई 2016 को देहरादून में पत्रकार उमेश शर्मा व अन्य के खिलाफ ब्लैकमेलिंग, बदनाम करने समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया था। तहरीर में कहा गया था कि उमेश शर्मा ने उनके खिलाफ सोशल मीडिया में खबर चलाई थी। खबर में कहा गया कि हरेंद्र व उनकी पत्नी सविता के खाते में नोटबंदी के दौरान झारखंड से अमृतेश चौहान ने रुपए जमा करवाए। यह रुपए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को देने की बात कही गई थी। शिकायतकर्ता ने कहा कि उनकी पत्नी मुख्यमंत्री की पत्नी की बहन नहीं हैं, जो भी तथ्य ख़बर में बताए गए हैं, वह पूरी तरह से गलत व झूठे हैं। उमेश शर्मा ने उनके बैंक के कागजात भी गलत तरीके से बनवाए, उनके बैंक खातों की सूचना गैरकानूनी तरीके से ली। मामला सामने आने के बाद ज्य सरकार ने उमेश शर्मा व अन्य लोगों के खिलाफ देशद्रोह, गैंगस्टर एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया गया था।

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