ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर धर्मेंद्र उनियाल धर्मी की रचना.. दिल्ली का बिरालों न छींकू तोड़ी.. दही भी खत्येणी..घ्यू भी गई
धर्मेंद्र उनियाल धर्मी
अल्मोड़ा, उत्तराखंड
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यू भी गई….. अर स्यू भी गई,
वू भी गई अर ..अब त्यू भी गई
दिल्ली का बिरालों न छींकू तोड़ी
दही भी खत्येणी …घ्यू भी गई।
चार-चार दिन का राजा बण्यन,
कुछ बासी कुछ, ताजा बण्यन
सब्बू न बोली पूराणू खराब,
फोड़ा कपाल अब नयू भी गई।
यू भी गई ..अर स्यू भी गई,
सब्बू न अपणा खिस्सा भरयन,
चोरी की कमाई का हिस्सा करयन
उत्तराखंड कू कनू फूटी कपाल,
प्राण भी गई अर ज्यू भी गई।
यू भी गई ..अर स्यू भी गई।