होली की उमंग पर डॉ अलका अरोड़ा का गीत.. अबके फागुन में ओ रे पिया भीग जाने दो कोरी चुनरिया
डॉ अलका अरोड़ा
प्रोफेसर, देहरादून
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रंग गालों पे कत्थई लगाना
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अबके फागुन में ओ रे पिया
भीग जाने दो कोरी चुनरिया
मीठी-मीठी सी बाली उमरिया
भीग जाने दो कोरी चुनरिया
हम को मिल ना सकें
तेरे रहमो करम
सात रंगों में डूबे सातों जन्म
रंग गालो पे कत्थई लगाना
धीमे धीमे से खोलो किवडिया
भीग जाने दो कोरी चुनरिया
रंग प्रीत का धानी बहुत है
ये नशा भी बहुत ही सुहाना
ऐसे अल्हड़ से फागुन समा में
हमको अपने गले से लगाना
अंग अंगवा से बरसे बदरिया
भीग जाने दो कोरी चुनरिया