डॉ अलका अरोड़ा की एक रचना… नया कुछ गीत गाए हम
डॉ अलका अरोड़ा
देहरादून, उत्तराखंड
————————————–
काव्य जगत के नन्हें दीप
——————————————-
नया कुछ गीत गाए हम
बच्चों संग बच्चा बन जाएं हम
उलझन की इस बगिया में
खुशियों के फूल खिलायें हम
बातें चांद सितारों की ना
ना बातें जमी आसमाँ की हो
बातें जगमग जुगुनू की और
रंग-बिरंगी तितली की हो
नन्हें-नन्हें सपनों की हों
मासूम मुस्कानों की बाते हों
छल-कपट से दूर निर्झर
झरने से बहते पानी की हो
कुछ नन्हें हाथीं में देखो
कलम दिखाई दे रही है
शब्दों को माला में रखकर
कानो में रस घोल रही है
ऐसे प्यारे बच्चो संग
आज लगाऐं मेला मिलकर
उनके निर्मल मुखमण्डल से
आभा झरती प्रखर होकर
दीप से दीप जलने जैसा
रोशन समा आज बनाया
इन नन्हें प्रहरी ने देखो
नई भोर का सूर्य उगाया
हैं छोटे सिपाही कलम के
कद ऊँचा जग में कर रहे
भारत भूमि से वंदन तुमको
शुभ आशीष तुम्हें नित दे रहे