डॉ ब्रम्हानन्द तिवारी ‘अवधूत’ का राग यमन कल्याण पर आधारित उत्कृष्ट गीत
डॉ ब्रम्हानन्द तिवारी ‘अवधूत’
मैनपुरी, उत्तर प्रदेश
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एक अध्यात्म गीत… राग यमन कल्याण पर आधारित
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गुरु के बिना मझधार है यह जिन्दगी।
कितनें दिलों का प्यार है यह जिन्दगी।।
प्रेम का प्याला सदा हमनें पिया,
इसलिऐ दिल में तुम्हें पा ही लिया,
हरि नाम से पतवार है यह जिन्दगी।
कितनें दिलों का प्यार है यह जिन्दगी।।
ढूँढते हैं कितने दीवानें तुम्हें,
सब के ह्रदय में हो न पहचानें तुम्हें,
ज्ञानियों को सार है यह जिन्दगी।
कितनें दिलों का प्यार है यह जिन्दगी।।
रीझते हो प्रेमियों पर तुम सदा,
उनको रखते प्रेममय तुम सर्वदा,
ब्रम्हानन्द का दीदार है यह जिन्दगी।
कितनें दिलों का प्यार है यह जिन्दगी।।
तेरी चाहत जिन दिलों को भा गयी,
उनकी दुनियाँ में तो मस्ती छा गयी,
सबके गले का हार है यह जिन्दगी।
कितनें दिलों का प्यार है यह जिन्दगी।।
गुरु के बिना मझधार है यह जिन्दगी।
कितनें दिलों का प्यार है यह जिन्दगी।।