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डॉ ब्रम्हानन्द तिवारी का शानदार गीत… पँछी मति भरु गगन उड़ान

डॉ ब्रम्हानन्द तिवारी अवधूत
मैनपुरी, उत्तर-प्रदेश
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गीत- पँछी मति भरु गगन उड़ान
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कोमल पँख उमरिया वारी,
है तू अभी नादान।
पँछी मति भरु गगन उड़ान।

गगन मण्डल में सात पवन हैं
उनकी महिमा न्यारी,
तीनि तीनि पत्नी हैं जिनकी,
दुइ दुइ हैं महतारी,
तीनि तीनि लरिका हैं उनकी
तिनकी ऊँची शान।
पँछी मति भरु गगन उड़ान।

कोमल पँख उमरिया वारी,
है तू अभी नादान,
पँछी मति भरु गगन उड़ान।

गगन मण्डल में बाज बहुत हैं
नोचि तुम्हें डारेंगे,
पँजनु मारि विदारें देही,
तड़पा के मारेंगें,
ब्रह्मानंद भजो जगदम्बा
तब उभरेंगे प्रान
पंछी मति भरु गगन उड़ान।

कोमल पँख उमरिया वारी,
है तू अभी नादान
पँछी मतु भरु गगन उड़ान।।

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