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प्रेरणादायक… पावन पर्व पर मां-बेटे ने किया नेत्रदान

जगदीश ग्रामीण ‘दर्द-ए-दिल’
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उत्तरायण के शुभ अवसर पर पुरानी रूढ़ियों/अंधविश्वासों को तिलांजलि देते हुए 70 वर्षीय स्वरूपी देवी ने मकर संक्रांति पर्व की खुशी को दुगुना कर दिया। मां तुझे सलाम। यही मेरी अयोध्या है यहीं मेरे राम।


रामनगर डांडा थानों निवासी स्वरूपी देवी पत्नी स्वर्गीय राघवानन्द तिवाड़ी ने मकर संक्रांति के त्योहार की रंगत बढ़ा दी। वृद्ध माता बोली, बेटा ये शरीर तो मिट्टी है एक न एक दिन मिट्टी में ही मिल जाएगा। नेत्रदान बहुत अच्छा कार्य है, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मुझे यह अवसर प्राप्त हो।
70 वर्षीय बुजुर्ग माता जी पूरे क्षेत्र के लिए आदर्श हैं। पर्वतीय क्षेत्र की वह पहली महिला होंगी जो कि नई पीढ़ी के लिए भी समाजसेवा का आदर्श प्रस्तुत कर रही हैं। नई सोच, नए विचार, त्याग, समर्पण की प्रतिमूर्ति मां तुझे बारम्बार नमन।
साथ ही स्वरूपी देवी जी के सुपुत्र सतीश (अशोक तिवाड़ी) ने भी माता जी के पदचिन्हों पर चलते हुए नेत्रदान का संकल्प लेकर युवाओं के लिए नई राह खोल दी है। युवा सतीश तिवाड़ी भी अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह हर समय जरूरतमंदों की सहायता के लिए तत्पर रहते हैं। कुल मिलाकर मां-बेटे का यह समाजोपयोगी कार्य अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणाप्रद सिद्ध होगा।

@ रक्तदान/नेत्रदान/देहदान

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