गढ़वाल विश्वविद्यालय की ऑनलाइन कार्यशाला सम्पन्न, परमाणु वैज्ञानिक ने समझाई स्माल एंगल न्यूट्रॉन स्केट्रिंग तकनीकी
-विवि के स्वयं प्रकोष्ठ ने यूजीसी डिपार्टमेंट ऑफ अटॉमिक इनर्जी कंसोर्शियम ऑफ साइंटिफिक रिसर्च सेंटर के सहयोग से आयोजित की राष्ट्रीय ऑनलाइन कार्यशाला
देहरादून (dehradun)। एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय (hnb garhwal university) की चार दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला गुरुवार को सम्पन्न हो गई। विवि के स्वयं प्रकोष्ठ (swayam Portal) ने यूजीसी डिपार्टमेंट ऑफ अटॉमिक इनर्जी कंसोर्शियम ऑफ साइंटिफिक रिसर्च सेंटर के सहयोग से राष्ट्रीय ऑनलाइन कार्यशाला आयोजित की थी। राष्ट्रीय कार्यशाला (national seminar) में देशभर से 1000 से भी अधिक प्रतिभागियों ने शिरकत की।
कार्यशाला के अंतिम दिन परमाणु वैज्ञानिक डॉ विनोद असवाल ने स्माल एंगल न्यूट्रॉन स्केट्रिंग तकनीकी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डॉ असवाल ने भाभा परमाणु शोध संस्थान में स्थित धुवा रिएक्टर में उपलब्ध इस मेगा एक्सपेरिमेंटल सिस्टम के शोध कार्यों में उपयोग को रेखांकित किया। भौतिक रसायन, फार्मासूटिकल, बायोलॉजिकल आदि शोध कार्यों में इसके वृहद उपयोग को विस्तार से बताया ओर से इस सुविधा के अधिक से अधिक उपयोग करने लिए आह्वान किया।
दूसरे सत्र में गढ़वाल विश्वविद्यालय के डॉ अजय सेमल्टी ने यूजीसी डीएईसीएसआर के सहयोग से किए गए अपने विभिन्न शोध कार्यों को प्रस्तुत किया। डॉ सेमल्टी ने शोधकर्ताओं से अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि संस्थान की सुविधाएं ही नहीं संस्थान के वैज्ञानिकों का सहयोग भी बहुत महत्वपूर्ण रहा। संस्थान की सुविधाओं के उपयोग से पहले अपना पूर्व का शोध कार्य, उचित योजना, पूर्व चर्चा , शोध की समस्या का उचित निर्धारण व शोध का अपेक्षित परिणाम की प्रस्तुति आदि सावधानी से की जानी चाहिए। संस्थान मात्र विज्ञान नहीं, विज्ञान कैसे किया जाना चाहिए ये भी सिखाता है।
पिछले सत्रो में संस्थान के इंदौर मुम्बई कोलकाता एवं कलपक्कम ओर राजा रमन्ना सेन्टर ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलोजी इंदौर के वैज्ञानिकों ने अपने केंद्रों में उपलब्ध मेगा रिसर्च फैसिलिटइज और किए गए शोध कार्यों की जानकारी साझा की। समापन सत्र में डॉ सीरुगुरी ने गढ़वाल विश्वविद्यलय के स्वयं सेल व डॉ सेमल्टी को कार्यशाला के आयोजन की बधाई दी। उन्होंने कुलपति प्रो नौटियाल का धन्यवाद भी किया।उन्होंने सलाहकार उच्च शिक्षा विभाग उत्तराखंड सरकार प्रो एमएसएम रावत को आश्वस्त किया कि वह उत्तराखंड के वैज्ञानिकों को हरसंभव सहयोग देंगे। कार्यशाला संयोजक डॉ सुधींद्र ने रिपोर्ट प्रस्तुत की। कार्यशाला के ऑनलाइन प्रसारण व आयोजन में माइक्रोसफ्ट गोल्ड पार्टनर, जुआना प्राइवेट लिमिटेड के राबर्ट व अंशुल का सहयोग रहा।