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वरिष्ठ कवि जीके पिपिल… उसने इंतजार में जैसे मुझे इंतजार बना दिया है

जीके पिपिल
देहरादून।

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गज़ल

उसने इंतजार में जैसे मुझे इंतजार बना दिया है
आजकल तेरी सोच ने मुझे बीमार बना दिया है

उसने सिर्फ़ एक नज़र प्यार से ही देखकर जैसे
कभी नहीं चुकने वाला मुझे उधार बना दिया है

बड़ी चाहत थी मेरी कि मैं तेरी राह में फूल बनूँ
किस्मत ने तेरी राहों का मुझे खार बना दिया है

मैं किनारा हुआ करता था इश्क़ की किश्ती का
हालातों के थपेड़ों ने मुझे मझधार बना दिया है

एक ज़माने में कभी मेला सा सजा रहता था मैं
आज वक़्त ने मुझे उजड़ा बाज़ार बना दिया है

एक वही था जिसके लिये मैं नायाब तोहफ़ा था
अब उसने फ़ालतू का मुझे उपहार बना दिया है

जब कभी कोशिश करी है उनके पास जाने की
उन्होंने बहाने से मूर्ख मुझे हर बार बना दिया है

 

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