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वरिष्ठ कवि/शाइर जीके पिपिल की ग़ज़ल … आंख अपनी भर आई दिल उसका भी भर आया होगा

जीके पिपिल
देहरादून, उत्तराखंड


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गज़ल

आंख अपनी भर आई दिल उसका भी भर आया होगा
हमें छोड़ने की अपनी ज़िद पर वो बहुत पछताया होगा

एक उसके बिछड़ने पर ऐसा कुछ महसूस होता है हमें
उतना कुछ जाता रहा जो तमाम उम्र ना कमाया होगा

दीवा तो मोहब्बत का जल रहा था दिलों में महफूज़ था
फिर कैसे आंधी ने या फिर किसी और ने बुझाया होगा

वज़ह क्या है साथ छोड़ने की लोगों ने पूछा होगा मगर
उसने सच्चाई छुपाई होगी सच सबको ना बताया होगा

सैलाब गुजरने के बाद जब सामान समेटूंगा तो पाऊंगा
उसकी गंध और यादें शेष होंगी जो बचा सरमाया होगा

पिछले स्वतंत्रता दिवस पर संग था महबूब मेरा अपना
इस दफा उसने छत पर बिन मेरे तिरंगा फहराया होगा।

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