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उठाए सवाल: भाजपा विधायकों को नहीं पसंद सरकार का पीपीपी मोड का सरकारी अस्पताल

-भाजपा के विधायकों ने अपने क्षेत्र में संचालित हो रहे पीपीपी मोड अस्पतालों की अव्यवस्था पर नाराजगी जताई है। स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत के सामने विधायकों ने अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।

भाजपा के आठ विधायकों ने अपने क्षेत्र में संचालित हो रहे पीपीपी मोड अस्पतालों की अव्यवस्था पर नाराजगी जताई। विधायकों ने कहा कि अस्पतालों में इलाज के दौरान मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने मुख्य चिकित्साधिकारियों को अस्पतालों की निगरानी खुद करने के निर्देश दिए। मरीजों को इलाज न दे पाने वाले अस्पतालों पर कार्रवाई करने को कहा गया है।

स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने सोमवार को स्वास्थ्य महानिदेशालय में पीपीपी मोड अस्पतालों की दिक्कत दूर करने के लिए स्थानीय विधायकों से सुझाव मांगे। स्वास्थ्य मंत्री ने एक एक विधायक से उनके क्षेत्र के पीपीपी मोड अस्पताल की हकीकत जानी और फीडबैक लिया। बैठक के दौरान क्षेत्रीय विधायकों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अस्पतालों में स्थाई डॉक्टरों की बजाय रोटेशन पर डॉक्टर तैनात किए जा रहे हैं। जिससे मरीज परेशान हैं। इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने सभी अस्पताल संचालकों को अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती के साथ ही उनकी डिग्री और विशेषज्ञता का भी उल्लेख करने को कहा है। कहा कि अस्पतालों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दास्त नहीं की जाएगी।

बैठक में विधायक रामनगर दिवान सिंह बिष्ट, लैंसडाउन दिलीप रावत, टिहरी किशोर उपाध्याय, देवप्रयाग विनोद कंडारी, घनसाली शक्ति लाल शाह, डोईवाला बृजभूषण गैरोला, रानीखेत प्रमोद नैनवाल, पौड़ी राजकुमार पोरी मौजूद रहे। इस दौरान बाल आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना, सचिव स्वास्थ्य राधिका झा, मिशन निदेशक एनएचएम सोनिका, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ शैलजा भट्ट आदि मौजूद रहे। बैठक में मौजूद विधायकों ने पीपीपी मोड़ पर संचालित हो रहे देवप्रयाग, बेलेश्वर, बीरोंखाल, रामनगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंन्द्रों व जिला अस्पताल पौड़ी की अव्यवस्थाओं को लेकर नाराजगी जताई।

रोटेशन की जानकारी न दिए जाने पर भी नाराजगी

बैठक में विधायकों ने ब्लॉक स्तर पर संचालित सचल चिकित्सा वाहनों के रोटेशन की जानकारी न दिए जाने पर भी नाराजगी जताई। इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सचल चिकित्सा वाहनों का रोटेशन स्थानीय विधायकों की सहमति के बाद ही तय किया जाए।

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